शहीद के परिवार की मदद के लिए लोगों ने जुटाए रुपये, खरीदकर दिया मकान
हमारे देश को वीर-सपूतों की भूमि कहा जाता है। यहां वतन पर मर मिटने वालों की कमी नहीं है, लेकिन शहीदों के परिवार का जीवन काफी मुश्किल हालातों से बीतता है। कई बार सरकार की ओर से दी जाने वाली धनराशि परिवार के सदस्यों के पालन-पोषण के लिए नाकाफी साबित होती है। इसी को ध्यान में रखकर मध्य प्रदेश के इंदौर के युवाओं ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो पूरे देश के लिए एक मिसाल बन चुका है। यहां त्रिपुरा में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद के परिजनों को युवाओं ने एक घर उपहार में दिया है।
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आतंकियों का सामना करते वक्त हुए शहीद
इंदौर के देपालपुर क्षेत्र के पीरपीपलिया गांव के रहने वाले मोहनलाल सुनेर वर्ष 192 में आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे। उनके परिवार को सरकार की ओर से कोई मदद भी नहीं मिली थी, जिसके बाद शहीद मोहनलाल का परिवार मुफलिसी में दिन काट रहा था। यह बात शहर के ही कुछ युवाओं को अखरती थी। जिसके चलते उन्होंने शहीद के परिजन की मदद करने की ठानी। कुछ युवाओं ने मिलकर मोहनलाल के परिवार के लिए चेक फॉर शहीद अभियान चलाया। इसी के चलते जमा हुए करीब 10 लाख रुपये से उनके लिए एक मकान तैयार किया गया, जो 15 अगस्त वाले दिन पड़े रक्षाबंधन के त्योहार पर शहीद की पत्नी को दिया गया।
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स्थानीय लोगों ने मदद के लिए चलाया अभियान
मोहनलाल की पत्नी राजूबाई की यह मदद शहर के कुछ युवाओं ने की है। इस अभियान के संयोजक विशाल राठी का कहना है कि शहीद के परिवार को कोई मदद नहीं मिली थी, जिसके बाद उनके जैसे तमाम युवाओं ने एकजुट होकर रुपया जमा करने की सोची। शहीद के 02 बेटे हैं, जिनका पालन पोषण करना राजूबाई के लिए मुश्किल हो रहा था। जब मोहनलाल शहीद हुए तो उनका बड़ा बेटा केवल 03 साल का था और राजूबाई 04 महीने की गर्भवती थीं। उनके ऊपर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की।
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बड़ा बेटा भी भारत माता की सेवा में तैनात
इस अभियान में स्थानीय गांव गौतमपुरा, बेटमा ,सांवेर, पीथमपुर, सागौर कनाड़िया, महू क्षेत्र, बड़नगर, आगरा और हातोद क्षेत्र के लोगों का योगदान रहा। अभियान में करीब 11 लाख रुपये की रकम जमा हुई थी। लोगों ने इन रुपयों से एक मकान का निर्माण कराया और रक्षाबंधन पर राजूबाई से बड़ी संख्या में राखी बंधवाने के बाद उनका घर में गृहप्रवेश कराया। राजूबाई के स्वागत के लिए लोगों ने अपनी हथेलियां जमीन पर रख दी थीं, जिसके ऊपर चलकर उन्होंने गृह प्रवेश किया। राजूबाई का बड़ा बेटा राजेश इस समय बीएसएफ में तैनात है। वहीं छोटा बेटा मां के साथ रहता है।
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