ये तो कमाल ही हो गया... नोटबंदी का इस गांव पर रत्तीभर नहीं पड़ा असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी (500 और 1000 रुपये) के ऐलान के बाद पूरे देश से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ज्यादातार लोगों ने इसकी सराहना ही की है। लेकिन क्या आप जानते हैं, एक गांव ऐसा भी है जिसे नोटबंदी के फैसले से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ा है। यह गांव इस फैसले से पहले ही कैश का उपयोग नहीं करता है।
यह गांव है हमारे देश का पहला डिजिटल गांव, नाम है अकोदरा! गुजरात में अहमदाबाद से करीब 90 किमी दूर साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर उप जिले में स्थित अकोदरा में हर परिवार के पास इ-बैंकिंग की सुविधा है। इस गांव के लिए बिना नकद के कई-कई दिन निकालना कोई नयी बात नहीं है। यहां की महिलाओं को दूध या सब्जी खरीदने के लिए साथ में पर्स नहीं ले जाना पड़ता है। डेरी में दूध जमा करना हो या फिर किसानों को अपनी पैदावार बेचनी हो, पैसे के लेन-देन के लिए उन्हें इंतजार नहीं करना पड़ता है। तुरंत ही अकाउंट से अमाउंट ट्रांसफर हो जाता है। पान की दुकान पर भी मोबाइल बैंकिंग और वाई-फाई नेटवर्क की सुविधा है।
इस गांव में है 220 परिवार
इस गांव में करीब 220 परिवार है जिनकी जनसंख्या 1200 है, इस गांव में लोगों का मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन है। यही नहीं इस गांव को पहले से ही देश के पहले ऐनिमल हॉस्टल का दर्जा मिल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी इसका लोकार्पण किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत अभियान के तहत इस बैंक को ICICI बैंक द्वारा गोद लिया गया। गांव के हर एक परिवार को एटीएम कार्ड और मोबाइल बैंकिंग से जोड़ा गया है।
इस गांव को समझने के लिए यह वीडियो देखें
यहां पूरी तरह डिजिटल हो गया हर काम
गांव के और लोगों की ही तरह केबल ऑपरेटर मणिलाल प्रजापति भी अपना काम पूरी तरह डिजिटल तरिके से करते है। वे अपने केबल का मासिक किराया इन्टरनेट बैंकिंग के जरिये लेते है। ग्राहकों को बस अपने फोन से क्रमांक 3 के बाद मणिलाल का मोबाइल नंबर, अपने अकाउंट के आखरी 6 अंक और भुगतान की रकम लिखकर बैंक को एक SMS भेजना होता है और किराया अपने आप मणिलाल के अकाउंट में जमा हो जाता है। गांव के सभी दुकानदार 10 रुपये से ज्यादा किसी भी बिल का भुगतान इ-बैंकिंग के जरिए ले लेते है। पिछले एक साल से स्थानीय दूध के कारोबारी भी किसानो का पैसा सीधे उनके अकाउंट में डलवा देते है। हर गांववाले का अकाउंट उसके आधार नंबर से जुड़ा होने की वजह से सभी सरकारी मुनाफे भी सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो जाते है।
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