अब आप स्मार्टफोन से कर सकेंगे मिलावटी दूध की पहचान

बाजार में मिल रहे मिलावटी दूध का असर सीधे आपकी सेहत पर पड़ रहा है। मिलावट खोरों पर कानूनी कार्रवाई के बाद भी बाजार में शुद्ध दूध नहीं आ पा रहा है। बाजार में आ रहा दूध सही है या फिर नहीं। इसकी पहचान आप जल्द ही अपने बातचीत करने वाले फोन से कर सकेंगे। यह सुनने में जरूर कुछ अलग लग रहा होगा, लेकिन यह बात सही है। जल्द ही आप अपने स्मार्ट फोन के जरिए यह पता लगा सकेंगे कि आखिरकार दूध में मिलावट हुई है या नहीं। हैदराबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने स्मार्टफोन आधारित ऐसी प्रणाली विकसित की है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन आधारित प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली में एक ऐसे पेपर का इस्तेमाल किया जाएगा जो अम्लता के अनुसार रंग बदलता है। संस्थान ने एल्गोरिदम भी विकसित किया है जिसका इस्तेमाल स्मार्टफोन के द्वारा कागज के रंग परिवर्तन का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा। आईआईटी में शोधकर्ता प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह ने ऐसी तकनीक विकसित किए हैं जिसमें मोबाइल फोन से ही दूध में मौजूद सोडा, बोरिक एसिड, यूरिया, पानी और शर्करा का पता लगा सकेगा। उनकी माने तो “दूध में हो रही मिलावट को पकड़ने के लिए एक डिवाइस तैयार की गयी है। ये अनोखी डिवाइस सिर्फ एक कागज के टुकड़े की मदद से काम कर सकेगी। प्रोफेसर के अनुसार सबसे पहले शोध दल ने पीएच स्तर को मापने के लिए एक सेंसर-चिप आधारित विधि विकसित की, जो अम्लता का सूचक है। इसी के जरिए पता चलेगा कि दूध में मिलावट है या फिर नहीं।
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आप भी जानें कैसे काम करेगी डिवाइस
शोधकर्ताओं के अनुसार बताया जा रहा है कि यह होलोक्रोमिक पेपर डिटेक्टर का काम करेगा। इस पेपर को जांचने वाले दूध में डुबोया जाएगा। अगर दूध में मिलावट हुई तो इस पेपर का रंग बदल जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार इसमें फोन का कहां इस्तेमाल हुआ और यह कौन सी तकनीक है तो हम आपको बता दें कि दरअसल ये होलोक्रोमिक पेपर किसी भी एसिड वाली चीज के संपर्क में आने के बाद रंग बदल लेता है। इंडिकेटर पेपर का रंग दूध में मौजूद एसिडिटी के आधार पर बदलता है। वैज्ञानिकों ने इस होलोक्रोमिक पेपर को नैनोसाइज्ड नायलॉन फाइबर से तैयार किया है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने ऐसा एल्गोरिद्म भी तैयार किया है जिसे आपके मोबाइल फोन में डाला जाएगा। ऐसे में जब भी कोई पेपर को दूध में डुबोने के बाद उसका फोटो लेगा तो इसका डाटा पीएच में बदल जाएगा, जिससे हमें दूध में हुई किसी भी मिलावट के बारे में झट से पता चल जाएगा।
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चिंता का विषय है मिलावटी दूध
वर्तमान समय में बाजार में मिलने वाला बड़ी-बड़ी कम्पनियों का दूध भी शुद्ध होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। वर्तमान समय में चंद पैसों की लालच में मिलावटी दूध खूब आ रहा है और हमारी दिन की शुरुआत भी मिलावटी दूध के साथ ही होती है। इसकी पुष्टि आए दिन आने वाली रिपोर्टों में भी होता रहता है। ऐसे में सबसे बड़ी चिंता उन माताओं को होती है कि जो अपने बच्चों तक मिलावटी दूध को पहुंचने से रोकना चाहती हैं, वो कैसे पता करें कि उनके घर में जो दूध आया है वो शुद्ध है कि नहीं? उम्मीद है कि जल्द ही इन माताओं को पता चल सकेगा कि आखिरकार दूध कितना शुद्ध है। बता दें एनिमल वेलफेयर बोर्ड की आई रिपोर्ट में यह सामने आया था कि भारत में 68.7 फीसदी दूध और दूध से जुड़े सामानों में मिलावट होती है। मिलावट खोर दूध के फैट को मोटा करने के लिए डिटर्जेंट, ग्लुकोज, यूरिया, कास्टिक सोडा, व्हाइट पेंट आदि का प्रयोग करते हैं।
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