अब एक महीने तक नहीं सड़ेंगे टमाटर, आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका

ज्यादातर सब्जियों में स्वाद बढ़ाने के लिए टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है। मैगी बनानी हो या चावल फ्राई करने हों दाल, टमाटर की ज़रूरत तो पड़ ही जाती है। लेकिन खाने में इतना काम आने वाले टमाटर के साथ एक दिक्कत होती है कि ये बहुत जल्दी ख़राब हो जाता है। इसीलिए सब्जी लेते वक्त हम जहां बाकी सब्जियां एक या दो किलो के हिसाब से लेते हैं, टमाटर ज्यादातर लोग एक पाव या आधा किलो ही खरीदते हैं। पर अब ऐसा नहीं होगा। आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक खोज ली है जिससे टमाटर 30 दिन तक ताजे ही बने रहेंगे।
आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों को इस काम में सफलता मिल गई है और ये संभंव हुआ है दो लोगों के बनाए गए फूड पैकेजिंग मैटेरियल की वजह से। इंस्टीट्यूट के डिपार्टमेंट ऑफ मैटेरियल साइंस ने मेटाल्यूर्जिकल इंजीनियरिंग की डॉ. मुद्रिका खंडेलवाल ने दो लोगों की इस टीम को लीड किया है। टमाटरों को ताजा रखने का का यह मैटेरियल सेल्यूलोज से बना है जिसे सिल्वर नैनो पार्टिकल्स में लंबे समय तक रखकर सुरक्षित किया गया है। इससे टमाटर न तो सिकुड़ेंगे और न ही सड़ेंगे।

इस तरह बनता है बैक्टीरियल सेल्युलोज
बैक्टीरियल सेल्युलोज को किसी भी मीठे फल के रस या शराब को सड़ाकर बनाया जा सकता है। बैक्टीरियल सेल्युलोज क्रिस्टलीय होता है, इसमें पानी को सोखने की अद्भुत क्षमता होती है। बैक्टीरियल सेल्युलोज नैनोफाइबरस होता है जबकि प्लांट सेल्युलोज माइक्रोफाइबरस होता है। यानि इसके सेल्स प्लांट सेल्स से अलग होते हैं।
इसे बनाने के लिए इसे सोडियम हाहड्रॉक्साइड से ट्रीट किया जाता है जिससे इसके सारे बैक्टीरिया निकल जाते हैं। ऐसा करने के लिए बैक्टीरियल सेल्युलोज को सिल्वर नाइट्रेट और सोडियम बोरोहाइड्रेट के सल्यूशन में डुबोया जाता है । सिल्वर नाइट्रेट सिल्वर नैनोपार्टिकल्स में बदलकर बैक्टीरियल सेल्युलोज के कणों के अंदर प्रविष्ट हो जाता है। बैक्टीरिया सेलूलोज मैट्रिक्स में मौजूद नैनोसाइज़्ड पियर्स नैनोकणों के विकास को प्रतिबंधित करता है, जिससे उनका आकार नियंत्रित किया जा सकता है।
ऐसे करता है काम
बैक्टीरियल सेल्युलोज की एंटीबैक्टीरियल एक्टिविटी को पहले सड़े टमाटर से बनी फंफूंद और बाद में मिक्स्ड कल्चर पर टेस्ट की गई थी। इस परीक्षण को 72 घंटे तक किया गया और इसके परिणाम 90 फीसदी तक सकारात्मक रहे।
कमरे के तापमान पर टमाटरों को इस कम्पोजिट में लपेटा गया और ये टमाटर 30 दिनों तक ताजे बने रहे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बैक्टीरियल सेल्युलोज एंटी माइक्रोबियल गतिविधि के साथ - साथ गैस और आद्रता के आदान प्रदान को सही अनुपात में संभव बनाता है क्योंकि इसमें पानी को सही मात्रा में सोखने का गुण होता है।
डॉ. खंडेलवाल का कहना है कि हम इस तकनीक को एक्जॉटिक फलों और हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स पर भी लागू करना चाहते हैं। ये शोध जर्नल ऑफ मैटेरियल साइंस में प्रकाशित हुआ है।
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