जानिए कैसे औषधीय खेती के जरिए लाखों कमा लेते हैं ये किसान

जहां एक ओर कुछ किसान परंपरागत खेती करके किसी तरह गुजारा कर पाते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी किसान हैं जो अपनी सूझबूझ से लखपति बने जा रहे हैं। किसान तो किसान दूसरे प्रोफेशन के लोग भी इस खेती में मुनाफा देखकर खुद को रोक नहीं पा रहे।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर किसान अब परंपरागत खेती छोड़कर औषधीय और सुंगधित पौधे की खेती कर रहे हैं। किसानों के साथ ही साथ उत्तराखंड में चमोली की पुलिस ने भी सुरक्षा का जिम्मा संभालते हुए अपने हर्बल गार्डन में बासठ तरह की जड़ी-बूटियां उगाई हैं। इन जड़ी- बूटियों से थुनेर, तुलसी, कुटकी, रोजमेरी, काशनी, सूरजमुखी, कालमेघ, अजवाइन, तिलपुष्पी, पुदीना, हल्दी, आंवला, मकोई, बहेड़ा, अश्वगंधा, लेमनग्रास, जंबु फरण, सतावर, इसबगोल, केशर, लेमन तुलसी समेत कई और पौधे भी लहलहा रहे हैं।
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किसान खुद का प्रोडेक्ट बनाकर बेंच रहे
ज्यादातर गाँवों के किसानों की तरह हरियाणा के किसान भी खेती में लागत न निकलने से परेशान रहते थे लेकिन यहां के किसान नरिन्दर सिंह ने अपनी मेहनत से न केवल अपनी मुश्किलें आसान की बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी रास्ता साफ किया। नरिंदर रोपड़ के डकाला गांव के रहने वाले हैं, वह जड़ी-बूटियों की खेती करके सालाना तीन करोड़ का टर्नओवर कमाते हैं। वो इन औषधीय पौधों से ब्यूटी प्रोडेक्ट और हर्बल प्रोडेक्ट बनाते हैं। उनके प्रोडेक्टस की मांग अब विदेशों तक है। आजकल लोग रासायनिक ब्यूटी प्रोडेक्ट और रासायनिक दवाइयों की जगह हर्बल ब्यूटी प्रोडेक्ट और हर्बल औषधि को ज्यादा तव्वजो देते हैं। इसलिए औषधीय खेती करने में मुनाफा ज्यादा है।

अन्य राज्य भी अपना रहे औषधीय खेती
राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल के साथ ही साथ अब दूसरे राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों अब तेजी से औषधीय खेती की ओर बढ़ रहे हैं। वे बड़े स्तर पर औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती कर रहे हैं। अगर सिर्फ मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां लगभग 25 तरह के औषधीय पौधों तथा सुगंधित पौधों की खेती हज़ारों एकड़ क्षेत्रफल में की जा रही है।
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दवा कंपनियों को है इन औषधियों की डिमांड
मध्यप्रदेश में ही सबसे ज़्यादा औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती हो रही है। कई सारे दवा निर्माता कंपनियां हैं जो अब सीधे गाँवों का रुख कर रही हैं। कोलियस, सफ़ेद मूसली, लेमनग्रास, श्यामा तुलसी, जामारोजा, आम्बा हल्दी, लाल चंदन, मुलेठी, सर्वगंधा, नीम, जामुन गुठली, सोठ, ब्राम्ही और शंख पुष्पी ऐसी ही औषधीय वनस्पतियां हैं, जिनकी कंपनियों को भारी डिमांड है। वे इनसे कई सारी दवाईयां और हर्बल प्रोडेक्ट बनाती हैं।
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