चाय की खेती ने बदल दी इन सैकड़ों आदिवासी महिलाओं की जिंदगी

चाय की बात करते ही दिमाग में असम और केरल घूमने लगता है लेकिन यहां हम आपको बताने जा रहे हैं, छत्तीसगढ़ के बस्तर की हर्बल चाय के बारे में जिसकी खुशबू सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी छा रही रही है। इस चाय ने यहां की महिलाओं की जिंदगी पूरी तरह से बदलकर उन्हें रोजगार दिया है।
बस्तर की हर्बल टी हॉलैंड और जर्मनी में भी अपनी जगह बना चुकी है। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में चिखलकुटी गाँव है असके आस-पास भी कई गाँव हैं जहां की महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया है, अभी इस समूह में लगभग 400 महिलाएं जुड़ी हैं। दशमति नेताम इस समूह की अध्यक्ष हैं। वो बताती हैं कि करीब 16 साल पहले उन्होंने समूह की शुरुआत की थी। हम पहले दालचीनी और काली मिर्च उगाते थे। कुछ वर्षों बाद स्टीविया की भी खेती करने लगे। धीरे-धीरे हमारी आमदनी बढ़ती गई और समूह में महिलाएं भी ज्यादा जुड़ने लगीं। इसके बाद हमने हर्बल चाय की शुरुआत की। विकोंरोजिया की जड़ें, स्टीविया, लेमन ग्रास और काली मिर्च इन चारों को सही अनुपात में मिलाकर हर्बल चाय तैयार करते हैं।
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विदेशी भी हैं इस चाय के दिवाने
इस हर्बल चाय के दिवाने न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी लोग इसकी चुस्की ले रहे हैं। इसका उत्पादन बस्तर की आदिवासी महिलाओं के समूह- मां दंतेश्वरी हर्बल प्रोडक्ट महिला समूह द्वारा किया जा रहा है। ये सिर्फ चाय नहीं बल्कि सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद औषधि है। इसमें कई बीमारियों के दूर करने का नुस्खा छुपा है। डब्ल्यूएचओ ने भी इस बात को प्रमाणित किया है। विकोंरोजिया मधुमेह और कैंसर में भी कारगर है।

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सस्ती और सेहतमंद दोनों है
दशमति बताती हैं कि इस हर्बल को बनाने के लिए दूध और चीनी की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि इसमें स्टीविया मिली होती है जिसमें पहले से मिठास रहती है। लेमन ग्रास की खुशबू इसे और भी खास बनाती है। गरम पानी में एक पैकेट हर्बल चाय डालते ही सुगंधित मीठी चाय बनकर तैयार हो जाती है। एक कप चाय की कीमत डेढ़ रुपये पड़ती है, यानी यह सस्ती और सेहतमंद दोनों है।
डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित
हर्बल चाय को वर्ष 2017-18 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी प्रमाणित किया है। यह सर्दी, खांसी, बुखार, मधुमेह, सिरदर्द सहित 12 रोगों के लिए रामबाण औषधि है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऑनलाइन वेबसाइट वंडरब्रूमडॉटकॉम के माध्यम से भी आदिवासी महिलाएं इसकी बिक्री कर लेती हैं। विदेश में अब तक लगभग 20 हजार ग्राहक बन चुके हैं।
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