ये चाय की दुकान जितनी खूबसूरत है उतनी ही दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी
कला में जीवन को बदलने की क्षमता है, ये आपकी बेरंग जिंदगी को कई बार खूबसूरत बना देती है। ये बस हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हमारी आंखें जो देखती हैं उसमें से क्या दूसरों तक पहुंचाती हैं।
ऐसी ही मिलती जुलती कहानी है उत्तराखंड की दीप्ति जोशी की जिनके पति के मौत के बद उनकी दुनिया ही बदल गई थी। वो कहती हैं कि मेरे पास बहुत कम उम्मीद थी जीने की पति के बाद बच्चों की भी जिम्मेदारी मुझ पर थी। मैंने अपनी जीविका को चलाने लिए एक छोटी सी चाय की दुकान खोली। पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां ज्यादा लोग तो नहीं आते थे लेकिन कुछ ड्राइवर आते जाते चाय पीने के लिए रूक जाते थे जिससे थोड़ा बहुत गुजारा होने लगा।
जोशी ने देखा हर दिन यहां कुछ ग्राहक आते हैं और थोड़ी देर में चले जाते हैं। ये वो जगह नहीं थी जहां लोग अपना खाली समय बिताना चाहते हों। यहां तक की मैं भी एक निश्चित समय से ज्यादा यहां नहीं रूकना चाहती थी। दीप्ति बताती हैं, जिदंगी बहुत ही नीरस तरीके से आगे बढ़ रही थी।
इसी बीच एक दिन दिल्ली की किरण नादर आर्ट म्यूजियम के छात्रों का एक गु्प यहां घूमने पहुंचा उन्हें जब दीप्ति की पूरी कहानी पता चली तो उन्होंने दीप्ति की मदद करने का फैसला किया। और उन्होंने दीप्ति के बदरंग टी स्टॉल में रंग भरने का काम शुरू किया। इस टीम ने दीप्ति की दुकान पर पारंपरिक कुमाऊं पेंटिंग बनाकर उसकी पूरी रंगत ही बदल दी। छोटी सी चाय की दुकान में अब कई सारी रंग बिरंगी पारंपरिक पेंटिंग्स थीं जिन्हें देखने के लिए आते जाते लोग एक बार जरूर रूकते थे।
देखते ही देखते जोशी टी स्टाल अब जोश कैफे में बदल गया था। रंग बिरंगी चाय की इस दुकान ने न केवल दीप्ति के तनाव को कम किया बल्कि राहगीरों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया था। अब यात्रा के दौरान लोग यहां रूकते थे, कॉलेज के छात्रों को यहां समय बिताना अच्छा लगता था।
निस्वार्थ मदद व कला ने मिलकर जोशी की बेरंग जिंदगी में दोबारा रंग भर दिया। दीप्ति अब तकलीफें भूल जाती हैं जब वो ग्राहकों को चाय व नाश्ता देती हैं और बदले में लोग ये कहते हैं कि “बहुत ही अच्छी जगह है ये दिल चाहता है दिन भर यहीं बैठे रहें। ”
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...