शिक्षकों की मेहनत से स्कूल में आई हरियाली, फसल से हो रही वर्ष में 4 लाख की कमाई

इस स्कूल में न सिर्फ पढ़ाई होती है बल्कि यहां की खाली पड़ी जमीन पर खेती भी की जाती है। जिससे वर्ष भर में 3 से 4 लाख रुपये की आय भी होती है। सरकारी स्कूल में शिक्षकों की मेहनत का ही नतीजा रहा है कि जहां स्कूल में हरियाली आ गई है, तो वहीं स्कूल में पढ़ने वाले छात्र पढ़ाई के साथ ही साथ खेती करने का हुनर भी सिख रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 108 वर्ष पुराना यह उच्च प्राथमिक विद्यालय किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है। पढ़ाई लिखाई से लेकर अन्य क्षेत्रों में यह स्कूल अव्वल है।
स्कूल में उगाई जाती है सब्जियां और फल
इस उच्च प्राथमिक स्कूल के आसपास 4.5 एकड़ जमीन खाली पड़ी हुई थी। यहां के शिक्षकों में ये उपाय सूझा क्यों न जमीन पर उत्पादन किया जाए। इसके बाद फिर स्कूल की एसडीएमसी, शिक्षकों और छात्रों सभी ने मिलकर काम शुरू किया और आखिरकार प्रयास रंग लाया। अब यहां पर बैंगन, पालक, धनिया, ककड़ी आदि सब्जियों की खेती की जाती है। पिछले साल स्कूल में लगभग 650 ऐरेका के पौधे लगाए गए हैं। यही नहीं स्कूल में लगभग 50 नारियल के पेड़ लगे हुए है जिनसे अच्छी पैदावार हो रही है।
इसके अलावा स्कूल में औषधीय पौधे भी लगाए गए है, जिससे स्कूल को अच्छी आय दे सके। स्कूल के प्रधानाचार्य मोहन पीएम ने बताया कि 'हम अपने बगीचे में विभिन्न प्रकार की सब्जियों और फलों की पैदावार कर रहे हैं। पैदा होने वाली सब्जी का प्रयोग स्कूल में बनने वाले मिड-डे मिल में किया जा रहा है। इसके अलावा जो भी सब्जी बचती है उसको बाजार में बेच दिया जाता है।'
कन्नड़ भाषा का स्कूल अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को दे रहा मात
मंगलुरु के बंटवाल तालुक क्षेत्र के मितूर में स्थित कन्नड़ भाषा का यह उच्च प्राथमिक स्कूल 108 वर्ष पुराना है। यह स्कूल 4.5 एकड़ में फैला हुआ है। खुद वित्त पोषित करने की पहल में इस स्कूल की समिति, शिक्षकों व छात्रों की वजह से स्कूल में हरियाली है। इस स्कूल में इस समय 112 छात्र व 8 कर्मचारी है। कन्नड़ भाषा का यह स्कूल अपने आसपास के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को मात दे रहा है। यहां पर प्रोजेक्टर के माध्यम से शिक्षण कार्य किया जाता है यही नहीं स्कूल में प्रत्येक दिन दोपहर को टीवी का प्रसारण भी किया जाता है।
स्कूल में बेहतर लाइब्रेरी है। जिसमें 2000 से अधिक किताबें है। इसके अलावा स्कूल में अन्य सरकारी सुविधाओं का भी लाभ दिया जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस स्कूल में एक फंड बनाया गया है, जिससे प्राप्त होने वाला ब्याज स्कूल के छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में दिया जाता है। यही नहीं इस स्कूल की स्थानीय समिति द्वारा भी स्कूल की बेहतरी के लिए दान दिया जाता है। जिसकी वजह से इस स्कूल की दिशा बदल गई है और यहां पर पढ़ाई का बेहतर माहौल बना हुआ है।
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