जनरल रावत का भारतीय सेना में रहा बहुत बड़ा योगदान, जानें क्यों रहे खास

देश के पहले सीडीएस रहे जनरल बिपिन रावत ने चार दशक तक भारतीय सेना में सेवाएं दी। अपने सबसे ज्यादा लंबे सैन्य जीवन में जनरल रावत ने ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग चीफ, दक्षिणी कमांड, मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। 63 साल के जीवन में जनरल रावत ने भारतीय सेना के लिए कई ऐसे काम किए, जो कि हमेशा ही उनकी बहादुरी का परिचय देते रहेंगे और वे हमेशा ही याद रखे जाएंगे। उनके बहादुरी वाले फैसलों में उरी में हुए हमले को कैसे भुलाया जा सकता है, जब उन्होंने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक पैरा कमांडोज को भेजा था। उनके पास काम करने का बहुत ही अलग अंदाज हुआ करता था, वे अशांत इलाकों में काम करने का अनुभव रखते थे। उनके बेहतर कामों को देखते हुए पीएम मोदी ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों की जगह पर तरजीह देते हुए आर्मी का चीफ बनाया था।
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अशांत इलाकों से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक में उन्होंने बेहतर काम किया था। उनके काम की सराहना बहुत ही की जाती है, जब उत्तर-पूर्व में चरमपंथ में कमी के लिए उनके योगदान की सराहना की गई। मणिपुर में जून 2015 में आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद में सबक सिखाने के लिए 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। उस समय तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2018 में बालाकोट हमले में भी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने भारत के पूर्व में चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल या एलएसी पर तैनात एक इन्फैंट्री बटालियन के अलावा कश्मीर घाटी में एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर की कमान संभाली थी। इसके अलावा रिपब्लिक ऑफ कांगो में उन्होंने विभिन्न देशों के सैनिकों की एक ब्रिगेड की भी कमान संभाली थी। जनरल बिपिन रातव भारत के उत्तर पूर्व में कोर कमांडर भी रहे हैं।
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ऐसे मिली सेना में कामयाबी
जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना 16 दिसंबर 1978 को बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट सेना में भर्ती हुए थे और गोरखा कमांड में अहम जिम्मेदारी मिली थी। पहली बार जनरल बिपिन रावत 1980 में वो प्रमोट हुए और लेफ्टिनेंट के पद पर उनका प्रमोशन कर दिया गया। इसके बाद उन्हें 1984 में सेना की तरफ से कप्तान की रैंक दी गई। 1989 में वह भारतीय सेना में मेजर बने। 1998 में वह लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए। इसके बाद 1999 में कारगिल युद्ध में उन्होंने अहम जिम्मेदारी निभाई। साल 2003 में वह भारतीय सेना में कर्नल बनाए गए। इसके ठीक चार साल बाद 2007 में वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें ब्रिगेडियर बनाया गया। वे साल 2011 में भारतीय सेना में मेजर जनरल बन गए। 2014 में उनका प्रमोशन लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर कर दिया गया था। एक जनवरी 2017 को मोदी सरकार ने उन्हें आर्मी चीफ का पद दिया।
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