सांप्रदायिक एकता की मिसाल : मुस्लिम शादी की शुरुआत में हुई गणेश पूजा

तमाम विविधताओं के बावजूद हमारे देश में अक्सर साम्प्रदायिक सद्भाव के मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में गुजरात में भी ऐसा हुआ। गुजरात के वेरावल में एक मुस्लिम शादी शुरुआत गणेश पूजा से हुई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम लड़की शबनम के पिता ने उसे एक हिंदू परिवार को सौंप दिया था। 20 साल के होने पर मेरामन जोरा के हिंदू परिवार ने उसकी शादी अब्बास नाम के युवक से करवा दी। जोरा के मुताबिक शबनम नियमित तौर पर नमाज पढ़ती है लेकिन हिंदू त्योहारों को भी उसी शिद्दत और उत्साह से मनाती है। इसीलिए शबनम की शादी में भी निकाह से पहले गणेश पूजा की रस्म हुई।
दरअसल, शबनम की मां के निधन के बाद उसके पिता कमरुद्दीन शेख जो कि एक ट्रक ड्राइवर थे, उन्होंने अपने मित्र जोरा से मदद मांगी, जिसके बाद जोरा परिवार ने शबनम को अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। 2012 में जब शबनम 14 साल की थी, तब उसके पिता कमरुद्दीन अचानक शहर से गायब हो गए और कभी नहीं लौटे। मां की मौत और पिता के लापता होने के बाद जोरा का घर ही शबनम का ठिकाना था जहां उसे अपनी मर्जी के धर्म का पालन करने की आजादी दी गई थी।

हालांकि गुजरात में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल का यह पहला मामला नहीं है। यहां एक ऐसा इलाका है जहां हर निकाह से पहले हिंदू रीति रिवाजों को भी मनाया जाता है। इसमें गणेश पूजा, गाय पूजा और फुलेकू भी। फुलेकू में दूल्हा दुल्हन को शादी के बाद पूरे गांव में घुमाया जाता है।
गुजरात के कच्छ का रण के बन्नी इलाके में रहने वाला मल्धारी मुस्लिम समुदाय इस तरह के हिंदू रीति रिवाजों का पालन करता है। पशु पालने वाला ये समुदाय बंटवारे के समय पाकिस्तान के सिंध इलाके से आकर बसा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इस समुदाय पर एक रिसर्च हुआ, जिसपर यह निकलकर आया कि इनकी शादियों में हिंदू रीति रिवाज आम हैं.। 18 हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले बन्नी इलाके में हिंदू मुस्लिम मिलकर सारे त्योहार भी मनाते हैं। साथ ही अगर कोई हिंदू मुस्लिम समारोह में पहुंचता है तो समुदाय नॉनवेज भी नहीं खाता है। बन्नी या पिरांजा पट नाम से जाने जाने वाले इस इलाके में शादी समारोह में गणेश पूजा के अलावा हल्दी और मंडप जैसी हिंदू रीति रिवाज भी होते हैं।
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