उम्रकैद की सजा काट रहे चार कैदियों ने ऐसे बदली अपनी जिंदगी

यदि कोई गुनाह की गली से निकलकर ईमानदारी का जीवन जीना चाहता है तो यह खबर उसके लिए प्रेरणा का श्रोत है। दरअसल, शिमला की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे चार कैदियों ने अपनी जिंदगी को संवारने के लिए एक कैफे का संचालन करने का जिम्मा उठाया है। उनकी इस सकारात्मक कोशिश को सफल बनाने के लिए आम लोगों भी आगे आ रहे हैं। वे उनकी मेहमाननवाजी पाने के लिए शिमला के रेंज में बने द मॉल स्थित 'टक्का बेंच' में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
किताबों के बीच कैदियों के हाथों बना खाते हैं खाना
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसी साल के 17 मार्च को इस कैफ़े का उदघाटन किया था। यह कैफ़े लोगों के लिए सुबह 10 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है। इसके बंद होने के बाद कैदियों को वापस जेल में ले जाया जाता है। इसमें किताबों के साथ ही कैदियों के हाथ का बना चाय और बिस्किट परोसा जाता है। अंग्रेजी और हिंदी के साथ ही कई भाषाओं की किताबें इसमें लोगों को पढ़ने के लिए मुहैया कराई जाती हैं। वहीं, इस कैफे में आने वाले भी यहां के किताबों के संकलन और स्वाद की तारीफ करते नहीं थकते। वे कहते हैं कि हर राज्य में इस तरह की मुहिम को शुरू करना चाहिये। सरकार की ओर से इस तरह के उठाए गए कदम से अपराध के दलदल में फंसे लोगों को उबरने का रास्ता मिलता है। वे अपने गुनाहों से दूरी बनाकर ईमानदारी से जिदंगी को जीने की ओर प्रेरित होंगे।

कैदियों ने बताई मन की बात
वहीं, बीस लाख रुपये की लागत से बने इस कैफे का संचालन करने वाले चारों कैदी जय चांद, योग राज, राम लाल और राज कुमार ने मीडिया को बताया कि वे इस कैफे से काफी उम्मीद लगा चुके हैं। वे कहते हैं कि हम अब अपनी जिंदगी को अपराधमुक्त बनाना चाहते हैं। इसके लिए हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कैफे का संचालन करने के लिए हमें पहले जेल में ही प्रोफेशनल लोगों से खाना बनाने और उसे परोसने की ट्रेनिंग दी गई थी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे कैफे में एक साथ 40 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। इस कैफे में लोगों को भी हमारे इस कदम से काफी खुशी मिलती है।
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