देश के पहले सैनिक स्कूल में 57 साल बाद हो रहा लड़कियों का एडमिशन
सेना में बेटियों के बढ़ते कदमों को अब और पंख देने के लिए उन्हें अब सैनिक स्कूल में प्रवेश दिया गया है। सैनिक स्कूल के 57 साल के इतिहास में देश में यह पहली बार है जब किसी सैनिक स्कूल के दरवाजे छात्राओं के लिए खोले गए हैं।
यह इतिहास देश के पहले सैनिक स्कूल व लखनऊ स्थित कैप्टन मनोज पाण्डेय यूपी सैनिक स्कूल से लिखा गया है। इस सैनिक स्कूल में 2018-19 सत्र में 9वीं कक्षा में एडमिशन के लिए 2500 में से 15 छात्राओं का चयन किया गया है। छात्राओं को स्कूल में प्रवेश दिए जाने का प्रस्ताव यूपी सरकार ने पिछले साल लिया था। जिन छात्राओं का प्रवेश हुआ है उसमें किसान की बेटी से लेकर डॉक्टर, पुलिस, टीचर की बेटियां है।
सैनिक स्कूल में लड़कियों के लिए की गई खास व्यवस्था
सैनिक स्कूल से लड़कियों की पढ़ाई कराए जाने की घोषणा के बाद यहां पर उनको सुविधाएं उपलब्ध कराने में एक साल का समय लगा। छात्राओं को प्रवेश देने से पहले स्कूल में कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर का काम खुद के खर्चे पर कराया गया। जो लड़कों के हॉस्टल्स थे उनमें से एक खाली कराकर उसे छात्राओं के लिए तैयार किया गया। सैनिक स्कूल के प्रिंसिपल कर्नल अमित चटर्जी बताते हैं कि छात्राओं का दिन सुबह 6 बजे पीटी व्यायाम के साथ शुरू होता है। 8.15 बजे प्रार्थना के बाद उनकी पढ़ाई शुरू होती है।
स्कूल खत्म होने के बाद खेलों में भाग लेती हैं। इसके बाद 7 बजे से पढ़ाई में लग जाती हैं। ये लड़कियां संस्थान का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रही हैं। स्कूल के रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कर्नल उदय प्रताप सिंह ने बताया कि 2,500 लड़कियां प्रवेश परीक्षा में शामिल हुई थीं। लिखित परीक्षा के बाद और साक्षात्कार के बाद सिर्फ 15 लड़कियों को ही चुना गया। ये सभी छात्राएं कक्षा 9 के लिए चुनी गई हैं।
यूपी सरकार ने रचा इतिहास
लखनऊ स्थित सैनिक स्कूल देश का एकलौता ऐसा सैनिक स्कूल है जो सेना या रक्षा के अंडर नहीं आता है। इस स्कूल की फंडिंग उत्तर प्रदेश सरकार करती है। लखनऊ कमिश्नर इसके चेयरमैन और स्कूल के प्रिंसिपल इसके सचिव होते हैं। यही स्कूल की रोजमर्रा के क्रिया कलापों की मॉनिटरिंग करते हैं। यूपी सरकार के अंडर में सैनिक स्कूल होने के कारण पिछले साल यूपी सरकार ने इतिहास रचा था। पिछले साल जुलाई 2017 में यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में स्कूल का नाम कैप्टन मनोज पांडेय सैनिक स्कूल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
मनोज पांडेय सहित 1000 से ज्यादा छात्र बने सेना में अधिकारी
सैनिक स्कूल में 1960 में स्थापित किया गया था। तब यह देश का पहला सैनिक स्कूल था और इसे यूपी सैनिक स्कूल के नाम से जाना जाता था। यहीं के छात्र रहे परमवीर चक्र से सम्मानित मनोज पाण्डेय के शहीद होने के बाद इस सैनिक स्कूल का नाम उनके नाम पर रख दिया गया। यूपी में स्थापित इस पहले सैनिक स्कूल के बाद देश के अन्य शहरों में 27 और सैनिक स्कूल खोले गए। यूपी के सैनिक स्कूल से 57 साल में 1000 से ज्यादा सेना के अधिकारी बन चुके हैं। इतना ही नहीं लखनऊ का सैनिक स्कूल देश का पहला स्कूल है जहां के छात्र मनोज पांडेय को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है।
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