कुछ ऐसी है एमपी बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली इन बेटियों की कहानी

प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है अगर उनको सहारा मिल जाए तो उड़ने में समय नहीं लगता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मध्यप्रदेश में किसान व पंचर बनाने वाली की बेटियों ने। सीमित संसाधनों में पढ़ाई करके उन्होंने ये साबित कर दिखाया है कि अगर ठान लिया तो फिर क्या नहीं किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकंड्री एजुकेशन (एमपीबीएसई) के आए परिणाम में उन छात्रों को तो कई गुना ज्यादा खुशी मिली है जिन लोगों ने कठिन सामाजिक और आर्थिक स्थितियों का सामना करते हुए बोर्ड परीक्षा में टॉप किया है। इसमें बैतूर जिले में किसान की एक बेटी ने टॉप किया है। सिर्फ यही नहीं पंचर बनाने वाले की उमरिया जिले की शाहजहां खातून ने भी टॉप लिस्ट में अपना स्थान बनाया है। बता दें कि 10वीं क्लास में अनामिका साध और हर्षवर्धन परमार ने टप किया है। 12वीं में साइंस स्ट्रीम में ललित पंचौरी, कॉमर्स स्ट्रीम में आयुषी धेंगुला और आर्ट्स स्ट्रीम में शिवानी पवार ने टॉप किया है।
बेटी की खातिर छोड़ दिया ऋषिका के माता-पिता ने घर
ऋषिका खोबरे ने जब 10वीं में प्रदेश में 9वां और 5वां स्थान हासिल किया। इसके बाद फिर उसके माता-पिता ने बेटी को आगे बढ़ाने के लिए गांव छोड़ने का निर्णय लिया। चिचोली ब्लॉक के गोधना गांव निवासी ऋषिका के पिता रिणदेव खोबरे एक सामान्य किसान हैं। ऋषिका के पिता ने अपनी बेटी के खातिर सब कुछ छोड़ दिया। अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी को बेटी के साथ रहने के लिए बैतूल भेज दिया। रिणदेव ने यह फैसला इसलिए लिया ताकि उनकी बेटी को किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े और वह मन लगाकर पढ़ाई कर सके। वहीं भूमिका पाटनकर के पिता तुकाराम पाटनकर पेशे से शिक्षक हैं। अपनी बेटी को उपलिब्धयां हासिल करते देख भूमिका के पिता को अपनी बेटी पर गर्व है। अब बेटी का आगे सपना है कि वे डॉक्टर बने। वह दो साल से बैतूल में किराए के मकान में पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहती है। ऋषिका डॉक्टर बनकर अपने गांव की सेवा करना चाहती है। ऋषिका ने निर्धारित 500 अंकों में 472 अंक हासिल कर बायोलॉजी संकाय में 5वां स्थान हासिल किया है।
प्रतिभा ने दिखाया कमाल, पंचर बनाने वाले की बेटी रही टॉपर लिस्ट में

इससे सुखद और क्या हो सकता है कि एक पंक्चर बनाने की बेटी ने भी अपनी प्रतिभा का कमाल दिया है। शाहजहां खातून उमरिया जिले के एक छोटे से कस्बे करकेली की रहने वाली है। शाहजहां के पिता मोहम्मद मुश्ताक की पंक्चर की दुकान है। 12वीं में टॉप करने वालों में शाहजहां खातून भी है, जिसके पिता पंक्चर की दुकान चलाते हैं। इन मुश्किल परिस्थितियों में भी शाहजहां ने पूरे मन से पढ़ाई की और 500 में से 476 अंक हासिल किए। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर हौंसले बुलंद हो तो फिर आखिर क्या नहीं किया जा सकता है। शाहजहां खातून ने आज अपने मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। घर में आर्थिक परेशानियों होने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। गणित संकाय की मेरिट लिस्ट में शाहजहां का 20वां स्थान है। शाहजहां कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई कर के यहां तक पहुंची हैं। पंक्चर की दुकान चलाने के बाद भी वह अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं, वह अपने तीनों बच्चों को उच्च तालीम दिला रहे हैं। उनका बड़ा बेटा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है, तो वही बेटी नूरजहां भी जिले में टॉपर रह चुकी हैं। अब शाहजहां ने भी टॉप कर के अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिया है।
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