यूपी की इस 'मोगली गर्ल' को मिल गए माता-पिता !

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित कतर्निया घाट के जंगल में पिछले साल मिली मोगली गर्ल तो आप लोगों को याद ही होगी। यूपी की इस मोगली गर्ल के माता-पिता मिल गए है। जी हां, यूपी में स्थित पीलीभीत जिला के एक दंपत्ति ने दावा किया है कि वे उसकी ही बेटी है। अपनी बेटी की तलाश में शुक्रवार को वे लोग लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे। दंपत्ति ने बताया कि उन्होंने अखबार में पढ़ा था। इसके बाद से ही वे अपनी बेटी की खोज रहे हैं।
एनबीटी न्यूज के अनुसार परिवार का दावा है कि पिछले साल 'मोगली गर्ल' नाम से सुर्खियों में आई बच्ची अहसास उन्हीं की बेटी है। शुक्रवार दोपहर यूनिवर्सिटी पहुंचे किसान पप्पू ने यूनिवर्सिटी के आर्ट्स डीन ऑफिस में अधिकारियों से मुलाकात की और दावा किया कि 'मोगली गर्ल' उन्हीं की बेटी है। उनकी बेटी 2011 में गायब हो गई, वह दो साल की थी और घर के बाहर अपनी मां के साथ सो रही थी।
अपनी लापता बेटी की तस्वीर दिखाते हुए किसान ने बताया, 'हम जंगल के पास रहते हैं और मैं उस वक्त घर पर नहीं था।' उन्होंने आगे बताया, 'मैं एक फैक्ट्री में काम करता हूं जहां मैंने अखबारों में तस्वीरें देखीं और मोगली गर्ल के बारे में मालूम हुआ। मैं यकीन से कह सकता हूं कि वह मेरी ही बेटी है।'
दंपती का कहना है कि 2011 में उनकी बच्ची एक दिन अचानक रात में बिस्तर से गायब हो गई थी। तब उसकी उम्र 2 साल थी। ऐसे में उनके बयान के मुताबिक वर्तमान में बच्ची की उम्र सात से आठ साल है। जबकि डॉक्टरों के मुताबिक 'मोगली गर्ल' की उम्र लगभग बारह साल है। हालांकि, अभी वह अपने कई दावे प्रस्तुत कर रहे हैं। फिलहाल बच्ची को चिकनपॉक्स हुआ है जिसका इलाज चल रहा है। वह ठीक से अब भी बोल नहीं पा रही है।
निर्माण संस्था कर रही है मोगली गर्ल की देखभाल

कतर्निया घाट के जंगल में मिली मोगली गर्ल की स्थिति में अब धीरे-धीरे सुधार आ गया है। अब वह इंसानों की तरह से ही काम करने लगी है। अब वह इंसानों की तरह दो पैरों पर चलती है, खाना चम्मच से खाती है। टायलेट या वॉशरूम जाने की जरूरत हो तो खुद बता देती है। अपना बिस्तर पहचानती है और वहीं सोती है। खुद से कपड़े भी पहनने लगी और बंदरों की तरह चीखना खत्म हो गया है।
उसे बेहतर जिंदगी और इलाज के लिए लखनऊ की निर्वाण संस्था में रखा गया है। संस्था के अध्यक्ष सुरेश सिंह धपोला बताते हैं कि लोहिया अस्पताल में उसका शुरुआती इलाज कराया गया था। इस समय उसे न्यूरो के एक डॉक्टर को अलग से दिखाया जा रहा है और साथ ही स्पीच थेरेपी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि यहा आने के बाद अब उस पर दावा करने वाले नहीं आ रहे। लेकिन, यहा उसकी अच्छी देखभाल हो रही है।

बंदरों के बीच में मिली थी मोगली गर्ल
पिछले साल उसे सबसे पहले देखने वाले मिहीपुरवा के शुएब रायनी व राजेश यज्ञसैनी के मुताबिक दोनों बाइक से लखीमपुर जा रहे थे। खपरा वन चौकी के पास सड़क से लगभग 10 मीटर अंदर जंगल में बालिका बंदरों से घिरी दिखी। दोनों रुक गए। धीरे-धीरे राहगीरों व आसपास के लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। बंदरों को भगाने की कोशिश की गई, लेकिन बंदरों के झुंड किसी भी कीमत पर बालिका को छोड़ना नहीं चाहते थे। लोग भगाने का प्रयास करते तो बंदर आक्रामक हो जाते।
किसी तरह बंदरों को भगाया गया, लेकिन बालिका के कुछ दूरी पर बंदरों के झुंड मौजूद रहे। इसकी सूचना यूपी-100 को दी गई। मौके पर पहुंची यूपी-100 बालिका को किसी तरह बंदरों के चंगुल से छुड़ाकर थाने पर ले गई। 19 जनवरी को उसे सीएचसी और फिर 25 जनवरी को बहराइच के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में वह अनिश्चित भविष्य लिये भर्ती थी। यह खबर जब लखनऊ के अखबारों से प्रकाशित हुई तो फिर प्रशासन ने उसे भर्ती लखनऊ की इस संस्था को दे दिया था।
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