यूपी की राजधानी में जुलाई माह से दौड़ेगी ये खास बसे, संरक्षित करेंगी पर्यावरण

शहर की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसों को दौड़ाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। शहर की सड़कों पर ये राजधानी की सड़कों पर जुलाई से इलेक्ट्रिक सिटी बसों का संचालन शुरू हो जाएगा। इलेक्ट्रिक बसों के डिपो के लिए वृंदावन की पी-4 पार्किंग में सात एकड़ जमीन की मंजूरी भी मिल गई है। नगरीय परिवहन प्राधिकरण को यह जमीन आवास विकास परिषद देगा। इससे वहां 500 बसों का डिपो बनाया जाएगा।
एनबीटी के अनुसार नगरीय परिवहन प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक अजीत सिंह ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों का डिपो चालू करने के लिए आवास विकास परिषद से जमीन मिल गई है। अब जमीन मिलने के बाद इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का रास्ता साफ हो गया है। जल्द ही पी-4 पार्किंग में मिली इस जमीन पर इलेक्ट्रिक बसों का डिपो बनाया जाएगा। यहां एक साथ 500 बसें खड़ी हो सकेंगी। उन्होंने बताया कि पहले चरण के लिए अभी 40 इलेक्ट्रिक सिटी बसों की मंजूरी मिली है। उन्होंने बताया कि टाटा से मिलने वाली ये बसें अगले महीने से मिलने लगेंगी। उन्होंने बताया कि जब तक पी-4 पार्किंग से बुनियादी ढांचा तैयार नहीं हो जाता है तब तक दुबग्गा डिपो से ही ये बसें संचालित की जाएंगी। दुबग्गा सिटी बस डिपो पर इन दिनों इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा विकसित करने का काम चालू करा दिया गया है।
कुछ इस तरह से चलती है इलेक्ट्रिक बसें

इलेक्ट्रिक बसों में सिस्टम बैट्ररी वाले रिक्शों के सामान रही रहता है। इन बसों को चार्ज किया जाता है और इसके बाद ये चलती है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट निगम की माने तो दिल्ली में इलेक्ट्रिक बस की बैटरी को चार्ज होने में चार घंटे लगते हैं और एक बार पूरी तरह चार्ज होने पर यह 280 किलोमीटर चलती है। बसों को चार्ज करने के लिए दिल्ली सरकार ने मिलेनियम डिपो में चार्जिंग प्वाइंट की व्यवस्था की है। ये बसे सामान्य बसों से काफी मंहगी होती है। दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बस की कीमत तीन करोड़ रुपए बताई थी। दिल्ली में चलने वाली बसों में ये भी खास व्यवस्था है। इन बसों को हर वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें सीसीटीवी कैमरा, पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम के साथ एफएम की भी सुविधा दी गई है। अगर कोई बीमार हो जाता है तो एक हाफ बेड भी इस बस में उपलब्ध है। बस हाइड्रोलिक बेस्ड है, यानी बस को सड़क के हिसाब से ऊपर-नीचे किया जा सकता है। वहीं मुम्बई में चलने वाली बसों में एक बस की कीमत 1.67 करोड़ रुपये है।
CNG-डीजल से कम खर्च
अभी तक लखनऊ की सड़कों पर सीएनजी से चलने वाली बसें दौड़ती है। जिनका खर्च काफी मंहगा पड़ता है जबकि इलेक्ट्रानिक बसों का खर्च कम होगा। मुम्बई में चलने वाली इन ई-बसों के चलाने पर प्रति किलोमीटर का खर्च सीएनजी के मुकाबले 46 प्रतिशत कम तथा डीजल के मुकाबले 60 प्रतिशत कम आएगा। सीएनजी बस को चलाने में जहां प्रतिकिलोमीटर 15 रुपये तथा डीजल को चलाने में प्रति किलोमीटर 20 रुपये का खर्च आता है, तो वहीं इलेक्ट्रिक बसों को चलाने में प्रति किलोमीटर 8 रुपये का खर्च आएगा।
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