बाल विवाह रोकने के लिए डीएम ने निकाला अनोखा तरीखा, शादी के कार्ड पर छपवाना होगा ये

शादी विवाह में मेहमानों को निमंत्रण देने के लिए सभी निमंत्रण कार्ड छपवाते हैं। जिसमें दूल्हा व दूल्हन का पूरा पता दिया जाता है, लेकिन अब इसी कार्ड पर एक कॉलम और बढ़ा दिया गया है। बाल विवाह से जैसी कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए इस जिले के डीएम ने अनोखा तरीका निकाला है।
अब शादी के कार्ड पर दूल्हा व दूल्हन का पूरा पता के साथ ही साथ जन्मतिथि को भी लिखना अनिवार्य होगा। पढ़ने-लिखने की उम्र में बेटियों को सौंपी जा रही घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी से निजात दिलाने के लिए श्रावस्ती जिले के डीएम दीपक मीणा ने ये नया तरीका निजात किया है। अब शादी के कार्ड पर प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को वर-वधू की जन्म तिथि भी अंकित करनी होगी। इतना ही नहीं प्रिंटिंग प्रेस संचालक को वर-वधू की आयु प्रमाण पत्र से संबंधित अभिलेख भी अपने पास सुरक्षित रखने होंगे। इसके लिए प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के साथ बैठक कर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
अगर ऐसा नहीं करता हे तो फिर उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी की जाएगी। जिला प्रोबेशन अधिकारी को ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे इस पूरे कार्यक्रम पर नजर रखेंगे। हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तर प्रदेश का जिला श्रावस्ती शैक्षिक व सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ इलाका है। शैक्षिक रूप से पिछड़ा होने के कारण यहां पर वर्षों से बाल विवाह की कुप्रथा वर्षों से चली आ रही है। अगर आंकड़ों पर गौर करते तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस)- 4 के आंकड़े बताते है कि यहां 70 प्रतिशत से भी अधिक बेटियों का बचपन में ही विवाह कर दिया जाता है।
ग्रामीण अंचलों की 70.6 प्रतिशत और शहरी इलाके की 68.5 फीसद बेटियों का बाल विवाह होता है। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र की 7.5 फीसद और शहरी क्षेत्र की 7.0 प्रतिशत बेटियां 15 से 19 वर्ष की आयु वर्ग में ही मां बन जाती हैं। ऐसे में उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है तथा जिस उम्र में उनके हाथों में कलम तथा पीठ पर बस्ता होना चाहिए उस उम्र में उनके हाथों में बच्चे होते हैं तथा गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारी आ जाती है। इस भयावह तस्वीर से श्रावस्ती को निकालने के लिए डीएम ने ये तरकीब निकाली है।
यूपी सरकार इस तरह कराती है बेटियों के हाथ पीले
बेटियों के हाथ पीले कराने में यूपी सरकार बहुत मदद कर रही है। इसके बाद भी समाज में बीमारी की तरह मजबूती से बैठ बनाए बैठी दहेज जैसी कुप्रथा की वजह से बेटियों के हाथ जल्दी पीले कर दिए जा रहे हैं। गरीब बेटियों के हाथ पीले करने में पैसों की कमी आड़े न आए इसके लिए सरकार की ओर से मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, शादी अनुदान आदि योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद बाल विवाह रुक नहीं रहा है। सरकार अथक प्रयास कर रही है इसके बाद भी बाल विवाह नहीं रूक रहा है।
कुछ ऐसे जिलाधिकारी ने की तैयारी
श्रावस्ती जिले के डीएम ने इस पहल को धरातल पर उतारने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने एक अखबार को बताया कि वैवाहिक आयोजनों के लिए कार्ड छपना व वितरित होना प्राथमिक आवश्यकता मानी जाती है। इसके लिए प्रिंटिंग प्रेस की मदद ली जाती है। प्रिटिंग प्रेस संचालक विवाह के कार्ड पर वर-वधू की जन्मतिथि अथवा आयु अंकित करेंगे।
आयु प्रमाण पत्र के तौर पर उन्हें मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड अथवा अन्य सरकारी अभिलेख जिसमें उम्र अंकित हो उसे अपने पास रखना होगा। यदि नाबालिग बेटी अथवा बेटे के विवाह का कार्ड छपवाने के प्रयास होते हैं तो प्रिंटिंग प्रेस संचालक इसकी सूचना प्रशासन को देंगे। जिला प्रोबेशन विभाग इन गतिविधियों पर पैनी नजर रखकर बाल विवाह रोकवाएगा। इसके लिए प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें विस्तृत दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
