जैविक खेती कर यहां के किसान कमा रहे लाखों, आप भी जानें

रांची शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर अनगड़ा की मनमोहक वादियों में बसे धुरलेटा और बुढ़ाकोचा गांव के किसान विकास की नई इबादत लिख रहे हैं। पहाड़ों की गोद में बसे इन गांवों के किसानों ने खेती करने का तरीका बदला और अपनी तकदीर बदल ली। यहां के किसानों ने जैविक खेती शुरू करके लागत कम और मुनाफा अधिक कमाया। आज धुरलेटा और बुढ़ाकोचा गांवों में रसायनमुक्त खेती हो रही है और अब ये आदर्श जैविक गांव घोषित हो गए है। पिछले तीन सालों से जैविक तरीके से खेती करने से यहां के किसानों का उत्पादन बढ़ा और साथ ही साथ आमदनी भी बढ़ी है। रांची जिले के अनगड़ा ब्लाक में आने वाले दो आदर्श जैविक ग्राम (राजाडेरा पंचायत का धुरलेटा-तिरलाकोचा और जोन्हा पंचायत का लेपसर बुढ़ाकोचा) खामोशी से अब कृषि क्षेत्र में नई इबारत लिख रहे हैं।
कुछ इस तरह बदली यहां की सूरत
आदिवासी गांव धुरलेटा और बुढ़ाकोचा के किसान कभी पारंपरिक तरीके से खेती करते थे। लेकिन उस खेती में खर्च भी नहीं निकल पाता था। गांव में सिंचाई की अच्छी सुविधा नहीं थी और ऊपर से खाद और बीज पर भी पैसा खर्च होता था। लागत भी न निकल पाने के कारण किसानों का खेती से मोहभंग हो गया था। जिसकी वजह से गांव के किसानों ने पलायन शुरू कर दिया था। लेकिल इन गांवों की तकदीर बदली रामकृष्ण मिशन की वजह से। गांवों में बदलाव के लिए कई तरह के प्रयोग किये गये। कृषि विज्ञान केंद्र और नाबार्ड की मेहनत रंग लाई और आखिरकार इस आदिवासी गांव में हरियाली आ गई। आदिवासी बाहुल्य गांव में किसानों ने जैविक तरीके से खेती करना शुरू किया और अपनी स्थिति बदल ली।

तीन साल से हो रही गांव में जैविक खेती
गांव में पिछले तीन साल से जैविक खेती की जा रही है। धुरलेटा गांव के 29 बेदिया परिवार के मुखिया को वर्ष 2015 में जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण मोरहाबादी स्थित रामकृष्ण मिशन में दिया गया। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया गया और धीरे-धीरे गांव के 57 किसान परिवार जैविक खेती करने लगे। धीरे-धीरे पूरे गांव ने स्थानीय संसाधन आधारित जैविक खेती की शुरू कर दी। किसानों ने जैविक खाद बनाना शुरू कर दिया गया। कम लागत पर खेती होने लगी और उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हुई। कम लागत में अधिक उपज होने के कारण यहां के किसानों की आमदनी भी बढ़ गई हैं। महज तीन साल में ही धुरलेटा और बुढ़ाकोचा जैविक गांव बन गया है।
लागत का यह हैं गुणाभाग
किसानों की माने तो जैविक खेती करने में वर्ष 2015 से पहले तीन एकड़ में धान की खेत करने में करीब 8 हजार रुपये की लागत आती थी और धान का उत्पादन महज 25 क्विंटल ही होता था। घरेलू उपयोग के लिए 10 क्विंटल धान रख लेते थे और 15 क्विंटल धान बेचने पर 18 हजार रुपये मिलते थे। इसी खेती में 25 हजार रूपये की सब्जी बेचते थे। घर में उपयोग करते हुए 50 हजार की आमदनी होती थी। जब से किसानों ने जैविक खेती शुरू की हैं तब से लागत में कमी आई। हालांकि शुरुआत में कोई विशेष फायदा नहीं हुआ, लेकिन अगले वर्ष इसका असर देखने को मिला। 2017 में तीन एकड़ खेत में ही 35 क्विंटल धान हुआ। किसानों ने 15 क्विंटल धान घर में रखकर 20 क्विंटल धान बेचने पर करीब 28 हजार रुपये मिले। यही नहीं गुरुत्वाकर्षण सिंचाई से पूरे साल सब्जी की अच्छी पैदावार हो रही है। जिससे करीब पचास हजार की आमदनी हो रही है।
यह भी पढ़ें : प्लास्टिक के कचरे से पैसे कमा रहे इस गांव के लोग, ये है योजना

क्या कहते हैं बुढ़ाकोचा और धुरलेटा के किसान
किसान ध्रुव बेदिया ने बताया कि वह एक एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं। धान के साथ ही साथ कई सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। ऊंचाई पर होने के कारण सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है। जिसकी वजह से कुछ क्षेत्रों में खेती नहीं हो पा रही थी। अब जैविक खेती से डेढ़ से दो गुना उत्पादन बढ़ा है। उन्होंने बताया कि पहले 45 एकड़ में खेती होती थी अब 60 एकड़ में रसायनमुक्त खेती हो रही है। उन्होंने कहा कि अब सोलर पंप लगने की वजह से पानी की समस्या भी खत्म हो गई है। उन्होंने बताया कि रसायनमुक्त खेती होने के कारण उत्पाद को खेत से ही खरीद लिया जा रहा है। उन्हें बाजार दर से 10-15 फीसदी अधिक कीमत भी मिल रही है। किसानों की माने तो उत्पाद प्रामाणिक हो जायेंगे। अब पार्टिसिपेटरी ग्रुप सर्टिफिकेशन (गाजियाबाद) के तहत ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन मिलने के बाद दामों में और बढ़ोत्तरी हो जाएंगी। बुढ़ाकोचा के किसान चंद्रमोहन बेदिया कहते हैं कि जैविक खेती से हम लोगों की जिंदगी में खुशियां आ गयी हैं। अब हम लोग पूरे साल खेती कर रहे हैं। अब इसका असर दिख रहा है कि बेहतर स्वास्थ्य के साथ अच्छी उपज से आमदनी बढ़ी है और अब पलायन भी रुक गया है।
यह भी पढ़ें: इस महिला से सीखिए बागवानी के राज, छत पर उगाती हैं 50 तरह की सब्जियां
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
