'सबका घर' में हर धर्म के लोग साथ खाते हैं खाना और करते हैं इबादत

कहने को तो सबका मालिक एक है लेकिन हम इंसनों ने अपने-अपने हिसाब से अपने धर्म और अपने भगवान बना लिए हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है अगर सभी लोग एक ही धर्म और एक ही भगवान को मानते तो कैसा होता? हालांकि अभी तक तो ऐसा नहीं हो पाया है, लेकिन एक जगह ऐसी है जहां सभी धर्मों के लोग साथ बैठकर खाना खाते हैं और साथ ही में अपने-अपने धर्मों की पूजा और इबादत करते हैं।
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के ओखला की, आपको बता दें... ओखला में एक 'सबका घर' है जो वहां के गफार मंजिल में है। इसे एक गैरलाभकारी संस्था खुदाई खिदमतगार चलाती है। सबका घर के जरिए यह संस्था सांप्रदायिक सौहार्द की भावना को प्रमोट करती है। यहां किसी तरह की धार्मिक दीवार नहीं है, एक ही छत के नीचे हिंदू और मुस्लिम दोनों आराम से रहते हैं। हिंदू-मुस्लिम यहां साथ खाना खाते हैं और अपनी जिंदगी के पल साझा करते हैं।
यहां के दरवाजे सबके लिए खुले
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक सबका घर के दरवाजे हर किसी के लिए खुले हैं, फिर चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। वहां पहुंचने पर एक हुसैन बेग नाम के शख्स से मुलाकात हुई, जिनके सिर पर एक टोपी थी और उनकी बड़ी-सी दाढ़ी थी। वह अपने नए दोस्त स्वामी आनंद रजनीश के साथ भोजन कर रहे थे। मौजूदा राजनैतिक हालात के बीच ऐसा दृश्य देखना किसी बॉलिवुड फिल्म के सीन की तरह लग रहा था। बेग और रजनीश की तरह कई लोग सबका घर में प्रेम से रहते हैं और एक-दूसरे का साथ इन्हें पसंद आता है।
जब यहां रहने वाले लोग अपने ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो इनके बीच की चर्चाओं में एक-दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान दिखाई देता है। रजनीश कहते हैं, 'यहां मुस्लिमों के साथ रहकर मुझे जीवन में कोई बदलाव नहीं दिखाई देता। ऐसा लगता है कि मैं अपने भाइयों के साथ रह रहा हूं।' रजनीश बिहार के मोतीहारी जिले से हैं और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा कोर्स कर रहे हैं।
रजनीश कहते हैं, 'यहां आकर मैंने यह महसूस किया कि मतभेद होने के बावजूद लोग एक साथ रह सकते हैं।' बेग ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा, 'एक साथ समय गुजारने के बाद ही आप अपनी धारणाएं बदल सकते हैं। अकसर जमीनी हकीकत अलग होती है।'
रजनीश, बेग और तीन अन्य लोगों के साथ एक ही कमरे में रहते हैं। ये लोग पढ़ाई-लिखाई करने या करेंट अफेयर्स पर चर्चा कर अपना समय गुजारते हैं। सूरत से यहां पहुंचे बिलाल जैदी नाम के वकील कहते हैं, 'मैं यहां एक कट्टरपंथी मुस्लिम परिवार से आया हूं।' जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लॉ स्टूडेंट सुयश त्रिपाठी ने कहा, 'मैं शाकाहारी हूं और जब भी यहां नॉन-वेज बनता है, यह सुनिश्चित किया जाता है कि पहले मेरा खाना परोसा जाए।'
साभार: नवभारत टाइम्स
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