अदालत ने दी पेड़ लगाने की सजा, समाज के लिए बन गई मिसाल

अदालत अक्सर अपराधियों की सजा का फैसला जेल भेज कर या जुर्माना लगाकर करती है, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अनोखी सजा देकर सभी को चौंका दिया है। अदालत ने नाबालिग से घरेलू काम कराने पर एक दंपति को 100 पेड़ लगाने का हैरान करने वाला फैसला दिया है। इसके साथ ही दंपति पर पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये का मुआवजा भी देने का आदेश दिया है।
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बच्ची से नौकरानी का काम कराते थे दंपति
दरअसल दिल्ली के रहने वाले एक दंपति एक नाबालिग से नौकरानी का काम करा रहे थे। इसकी खबर मिलने पर दंपति के खिलाफ दिल्ली के राजौरी गार्डन थाने पर बंधुआ मजदूरी, नाबालिक को चोट पहुंचाने व जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था। बताया जा रहा है कि दंपति बच्चे से करीब 03 माह से नौकरानी का काम ले रहे थे। इस बच्ची को एजेंट के जरिए दिल्ली लाया गया था। दंपति उससे घरेलू कार्य लेने के अलावा शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित करते थे। साथ ही वह नाबालिग को काम के रुपये भी नहीं देते थे। एक तरह से उन्होंने उसे बंधुआ मजदूर बनाकर रखा था। शिकायत मिलने पर बाल कल्याण समिति ने इस मामले में केस दर्ज कराया था।
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ये पेड़ लगाने के दिए निर्देश
दंपति को सेंट्रल दिल्ली रिज क्षेत्र में 10 दिनों के अंदर मिट्टी के अनुसार बरगद, जामुन, आम, गूलर, पलाश, कदम्ब, महुआ, अंजीर, पलाश, अर्नी, बढ़, सागवान, सफेद साइरिस, काला साइरिस, पुत्रंजीवा आदि के पेड़ लगाने को कहा गया है। उन्हें यह आदेश दिया गया है कि वह किसी वृक्षारोपण अभियान के तहत भी पेड़ लगा सकते हैं। साथ ही इस बात की भी हिदायत दी गई है कि यह पेड़ देसी प्रजाति के होने चाहिए और उनकी आयु साढ़े तीन साल व ऊंचाई छह फुट की होनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में उप वन संरक्षक को भी वृक्षारोपण का शपथ पत्र और तस्वीरें 25 मार्च तक देने के निर्देश प्रदान किए हैं।
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