कोरोना वॉरियर्स: बुर्का पहने ये महिला मंदिर व मस्जिदों को करती है सैनिटाइज
हम जब कोरोना के डर से अपने घरों में बैठे हैं और हर दिन हजारों लोगों के संक्रमित होने की खबरें सुनते हैं। तो इसी बीच कई सारे ऐसे योद्धा भी हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना डटकर मुकाबला कर रहे हैं और दूसरों की जिंदगी भी बचा रहे हैं। हम आज आपको ऐसी ही एक योद्धा (warriors) से मिलवाने जा रहे हैं जिसे दिल्ली की गलियों में अक्सर लोग देखते हैं।
कोरोना की जंग (Corona Virus) में पूरा देश सबकुछ भूलकर एकजुट हो गया है। दिल्ली (Delhi) की गलियों में अक्सर धार्मिक इमारतों के आस-पास बुर्के में एक महिला दिखती है। मंदिर, मस्जिद या गुरूद्यारा हो ये महिला हर जगह जाती है लेकिन धर्म की रूढ़िवादिता को छोड़कर आखिर ये महिला हर धार्मिक इमारत में क्यों जाती है।
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32 वर्षीय इमराना सैफी (Imrana Saifi) है इस समय सबकुछ छोड़कर मानवता का फर्ज निभा रही है, जो दिल्ली के मंदिरों, चर्चों, गुरुद्वारों और मस्जिदों में सैनटाइजर टैंक लेकर छिटकाव करती दिखती हैं। जब पूरा देश संकट के समय में हैं और कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है तो ऐसे में में सांप्रदायिक सद्भावना को बनाये रखते हुए हर धार्मिक इमारत को सैनिटाइज करने की जिम्मेदारी इमराना ने ले रखी है।
इमराना (Imrana) हर दिन इलाके में धार्मिक स्थलों का दौरा करती है। उनके हाथ में एक कीटाणुनाशक स्प्रे रहता है। वो पड़ोस के कई मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों को साफ करने की जिम्मेदारी ले चुकी हैं और नियमित तौर पर ये काम कर रही हैं। इस बुर्के वाली महिला की फोटो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही हैं।
कौन हैं इमराना जो कर रही हैं ये नेक काम
जात-पात और धर्म की रुढि़वादी सोच से परे रहकर मानव सेवा का धर्म निभाने वाली इमराना दिल्ली के मंदिरों, चर्चों, गुरुद्वारों और मस्जिदों में सैनटाइजर टैंक लेकर छिटकाव करती नजर आ रही हैं। दो बच्चों की मां इमराना आजकल पाक रमजान में हर दिन रोजा रखते हुए ये नेक काम कर रही हैं। उन्होंने "कोरोना-वारियर्स" (Corona Warriors) की अपनी टीम बनाई है जो हर दिन सैनिटाइज़र टैंक (Senitaizer tank) के साथ छिड़काव करते हैं, जिससे संक्रमण के मामले कम हो सकें।
इमराना सैफी ने धार्मिक सद्भावना की एक मिसाल पेश की है जो इस बुरे समय में हिंदू-मुस्लिम (Hindu-muslim)के भेद को खत्म करके हर धार्मिक स्थल पर जाते हैं। सैफी ने बताया कि वो हर दिन, नेहरू नगर में नव दुर्गा मंदिर धार्मिक स्थलों पर जाती हैं कोरोना-योद्धा के रुप में उनका मंदिर में प्रवेश को लेकर वहां के पुजारियों या स्थानीय लोगों से कोई समस्या नहीं होती है। बल्कि वो उनका खुशी से स्वागत करते हैं। और उसकी मदद करते हैं।
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अजान और मंदिर के घंटों में रचाती कोई फर्क-
इमराना के लिए मंदिर हो या मस्जिद दोनों ही महत्वपूर्ण है। वो इनमें कोई भेदभाव नहीं करते हैं। उनके लिए अजान और मंदिर में बजने वाले घंटों की आवाजें एक ही हैं। इमराना सैफी ने बताया कि केवल सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। उन्होंने इस समय तीन महिलाओं के साथ मिलकर एक टीम बनाई है जो अब COVID-19 के संक्रमण को कम करने के लिए काम कर रही है।
वो अब तक जाफराबाद, मुस्तफाबाद, चांदबाग, नेहरू विहार, शिव विहार, बाबू नगर की संकरी गलियों में जाकर उन्हें सैनिटाइज करने का काम कर चुकी है। हैं। वो मस्जिदों के बीच अंतर नहीं करते हैं जो अज़ान और मंदिरों में बजती घंटियों के साथ बजते हैं।
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