लॉकडाउन में पैदल 450 किलोमीटर चलकर ड्यूटी निभाने पहुंचे ये सिपाही

कोरोना वायरस की महामारी को लेकर पूरे विश्व से आ रहीं बुरी खबरों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन सबके बीच कुछ ऐसी खबरें भी आती हैं, जिसमें कोरोना के खिलाफ लड़ते लोगों का अलग ही जज्बा देखने को मिलता है। ऐसे ही कई मामले देशभर से देखने को मिल रहे हैं, जहां दो कांस्टेबल उत्तर प्रदेश के कानपुर और इटावा से पैदल 450 किलोमीटर चलकर ड्यूटी करने पहुंच गए। वहीं विशाखापट्टनम में एक नगर निगम कमिश्नर अपने एक माह के बेटे के साथ ड्यूटी का फर्ज निभा रही हैं।
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बीमार पत्नी को देखने आए थे आनंद
मध्य प्रदेश के इस कांस्टेबल का नाम आनंद पांडे है, वे इस समय मध्य प्रदेश के जबलपुर के ओमती थाने में ड्यूटी निभा रहे हैं। आनंद बीमार पत्नी के इलाज के लिए अपने गृहनगर कानपुर के भौती आए हुए थे। इसी दौरान लॉकडाउन हो गया। और उनकी छुट्टिया भी खत्म हो गईं। उन्हें जबलपुर जाना था, लेकिन वहां पहुंचने के लिए कोई वाहन उपलब्ध नहीं था।
इस पर भी उन्होंने हार नहीं मानी और पैदल ही 30 मार्च को जबलपुर के लिए निकल पड़े। आनंद ने बताया कि वे सफर के दौरान केवल सोने के लिए ही रुकते थे। एक पुलिस वाले को पैदल जाता देख रास्ते में जरूरी सामानों की आपूर्ति में लगे लोगों ने उन्हें लिफ्ट दे दी। इस तरह उन्होंने 450 किलोमीटर का सफर 3 दिन में पूरा किया और 2 अप्रैल को जबलपुर पहुंच गए। उनके जज्बे की तारीफ वहां के एसपी और स्टाफ ने भी की है।
कॉन्स्टेबल आनंद पांडे की हर कोई तारीफ कर रहा है
दिग्विजय भी ड्यूटी निभाने के लिए चले 450 किलोमीटर
22 साल के कॉस्टेबल दिग्विजय शर्मा भी इस समय चर्चा का केन्द्र बने हुए हैं। दरअसल वे अपनी ड्यूटी निभाने के लिए पैदल 450 किलोमीटर दूर जबलपुर के लिए निकल पड़े। इस बारे में दिग्विजय ने मीडिया को बताया कि उन्होंने पचोर पुलिस स्टेशन के निरीक्षक से बात की थी, उन्होंने बताया था कि वो संकट की इस घड़ी में अपनी ड्यूटी निभाना चाहते हैं। जिसके बाद उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से देश में कोई वाहन नहीं चल रहे हैं, इसलिए बेहतर होगा कि वो घर में ही रुकें। दिग्विजय ने बताया कि उन्हें बात समझ में नहीं आई और वो 25 मार्च की सुबह इटावा से पैदल ही जबलपुर के लिए निकल लिए। इस दौरान वे करीब 20 घंटे पैदल चले और कुछ लोगों से लिफ्ट भी ली।
जिसके बाद वो 28 मार्च की रात को राजगढ़ पहुंच गए और इस बारे में अपने अधिकारियों को सूचित किया। दिग्विजय ने बताया कि रास्ते में कई लोगों ने उनकी मदद की, जिसके चलते वो राजगढ़ अपनी ड्यूटी निभाने पहुंच सके।
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आईपीएस ने की तारीफ
एसपी डीजीपी को लिखेंगे लेटर
दिग्विजय के बारे में जिसने भी सुना वो उनके जज्बे को सलाम किए बिना नहीं रह सका। इस बारे में बारे में राजगढ़ के पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने कहा कि उनका जज्बा शानदार है। उनकी कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए वे खुद डीजीपी को उनके बारे में लेटर लिखेंगे। साथ ही वे चाहते हैं कि डीजीपी दिग्विजय के इस जोश के लिए उसे प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित करें। फिलहाल दिग्विजय की हर कोई तारीफ कर रहा है। उनके साथी भी दिग्विजय के इस काम से प्रेरणा ले रहे हैं। उनके साथी बताते हैं कि अपनी ड्यूटी के प्रति ऐसा जज्बा बहुत कम ही देखने को मिलता है, इसे देखकर उनके अंदर भी अपने काम के प्रति नया जोश पैदा हुआ है।
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नवजात बेटे के साथ ड्यूटी निभा रहीं नगर निगम कमिश्नर सृजना
बेटे के साथ ड्यूटी निभा रहीं निगम कमिश्नर
देश में इस संकट की घड़ी में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जो लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहे हैं। ऐसी ही एक नजीर आंधप्रदेश के विशाखापट्टनम में नगर निगम कमिश्नर सृजना की है। एक महीने पहले ही मां बनीं सृजना अपने नवजात बेटे के साथ ड्यूटी निभा रही हैं। वे चाहती तो ऐसे हालात में मातृत्व अवकाश ले सकती थीं, लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाना ज्यादा जरूरी समझा। वे बताती हैं कि एक नवजात को अपनी मां की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। हालांकि कभी कभी वो अपने बेटे को घर पर पति और सास के पास छोड़कर आती हैं। वे बताती हैं कि संकट की इस घड़ी में वो अपना भी योगदान देना चाहती हैं। वे इस महामारी के दौर में भी लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं।
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