पूरी सैलरी खर्च कर पेड़ लगाता है यह सिपाही, बन गया हरियाणा का ट्री-मैन
जिस हिसाब से दुनिया में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी चिंता जता चुका है। विश्व में हजारों की तादाद में लोग वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। भारत में भी वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। इसी समस्या को ध्यान में रखकर चंडीगढ़ का एक सिपाही बेहतरीन काम कर रहा है, जिसकी सभी जगह तारीफ हो रही है। हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ पुलिस में तैनात सिपाही देवेंदर सूरा की, जिन्होंने पर्यावरण को लेकर एक सराहनीय अभियान छेड़ा है। अभी तक वह डेढ़ लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। उन्हें लोग हरियाणा का ट्री-मैन नाम से पुकारते हैं।
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वर्ष 2012 में थी छोटी से शुरुआत
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले देवेंदर बताते हैं कि उनकी नौकरी वर्ष 2011 में लगी थी। जिसके बाद उन्हें चंडीगढ़ आना पड़ा, वह यहां कि खूबसूरती देखकर दंग रह गए थे। यहां की हरियाली ने भी उन्हें बेहद प्रभावित किया था। तब उनके मन में ख्याल आया था कि वह सोनीपत को भी ऐसा ही हरा-भरा बनाएंगे। जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2012 में पर्यावरण को लेकर अभियान चलाया। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने गांव से ही की थी, पहले वह गांव के लोगों के पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए पेड़ों के महत्व को समझाते थे। उन्होंने इस अभियान की शुरुआत अपने घर के बाहर पेड़ लगाने से की, आज उनका यह अभियान दिल्ली तक पहुंच गया है।
देवेंदर लोगों के बीच में पर्यावरण मित्र और ट्री-मैन के नाम से मशहूर हैं
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खर्च कर देते थे पूरा वेतन
देवेंदर की नई-नई नौकरी लगी थी। वह इस अभियान में अपनी पूरी सैलरी खर्च कर देते थे। जिसके चलते उन्हें परिवार की नाराजगी का सामना करना पड़ता था। धीरे-धीरे उनका प्रयास रंग लाने लगा और उनके अभियान से लोग जुड़ने लगे तो उन्हें इस काम में आर्थिक सहयोग भी मिलने लगा था। वह अभी तक सोनीपत के आसपास के करीब 185 गांवों में हजारों की संख्या में पेड़ लगवा चुके हैं। उनके अभियान के साथ एक बड़ी युवा टीम भी जुड़ चुकी है। वह बताते हैं कि वह गांवों में जाकर 20-25 लोगों की समिति बनाते हैं, जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी तरह के लोग होते हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वह लगाए हुए पेड़ की रक्षा करेंगे और उन्हें कटने या आवारा पशुओं से बचाएंगे।
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अभियान पर खर्च कर चुके हैं 30 लाख रुपये
अपने अभियान के बारे में देवेंदर बताते हैं कि अभी तक इस काम में 30-40 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। शुरुआत में वह हरियाणा की नर्सरी से पेड़ खरीदते थे, जो महंगे पड़ते थे। फिर उन्होंने उत्तर प्रदेश की नर्सरी से खरीदारी शुरू कर दी। बाद में उन्होंने अपनी खुद की नर्सरी के बारे में सोचा, जिसके चलते उन्होंने करीब 02 एकड़ जमीन लीज पर ली और नर्सरी का काम शुरू किया।
वह बताते हैं उनकी नर्सरी से गांवों तक पेड़ ले जाने के लिए बैलगाड़ी भी है। वह अभी तक डेढ़ लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। साथ ही करीब ढाई लाख पेड़ वितरित कर चुके हैं। वह ज्यादातर पीपल, बरगद, जामुन, अमरूद, आम, हरसिंगार, अर्जुन और आंवला जैसे पेड़ लगाते हैं। वह शादी समारोह में पहुंचकर दूल्हा-दुल्हन को भी पेड़ भेंट करते हैं और उसे बचाने का संकल्प दिलाते हैं।
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