बदलाव : पंडित की दक्षिणा से लेकर सास-ससुर का शगुन तक चेक से

यूं तो आपने बहुत से सामूहिक विवाह देखे होंगे, लेकिन गुजरात के अरावली जिले जैसे नहीं देखा होगा। यहां आयोजित एक सामूहिक विवाह में शगुन (कैश में) जमा कराने के लिए स्वाइप मशीनें लगाई गईं थीं।
इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 9 जोड़ियां शामिल हुईं। शादियों में एक पैसे का भी नकद लेन-देन नहीं हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन वीरमाया वनकार समाज सुधारक समिति ने किया था।
पुरोहित को चेक से दिया गया दक्षिणा
समिति के संयोजक हंसमुख सक्सेना ने बताया कि कार्यक्रम में हर तरह के भुगतान या तो चेक से किए गए या RTGS से। सामूहिक विवाह में कपल के लिए खरीदे गए गिफ्ट, कैटरर, मंडप बनाने वाले के भुगतान चेक या RTGS से किए गए। यहां तक पुरोहित की दक्षिणा भी चेक से दी गई।'
'दापु' रस्म भी चेक से अदा पूरी की गई
इस सामूहिक विवाह में सबसे बड़ी चुनौती 'दापु' रस्म को लेकर थी। इस रस्म में होने वाली बहू को दूल्हे के माता-पिता नकद शगुन देते हैं।
सक्सेना ने बताया कि देश को कैशलेस की दिशा में बढ़ाने के लिए इस प्रथा के तहत दी जाने वाली नकद राशि का भुगतान भी चेक से किया गया। सक्सेना ने बताया कि हमारी टॉप प्रायॉरिटी भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण है। कैशलेस व्यवस्था से पारदर्शिता आएगी।
सामूहिक विवाह में भाग लेने वाले नाथाभाई चौहान ने कहा, 'शुरू में मैं इस विचार के खिलाफ थे। मुझे लगता था कि यह बेहद मुश्किल है। लेकिन, एक बार जब हमने सीख लिया की ATM कार्ड को कैसे स्वाइप करते हैं तो यह बेहद आसान लगने लगा।
हमने फैसला लिया कि मीना को 707 रुपये का 'दापु' चेक में देना है।' नाथाभाई ने कहा कि इस बदलाव का हिस्सा बनकर हमें बेहद खुशी हुई। इस सामूहिक विवाह में नाथाभाई के बेटे रमेश की शादी मीना हुई।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
