अंग्रेज अपने साथ ले गए थे कुछ भारतीय पौधों की प्रजातियां , अब आएंगी वापस

चाय को भारत में लाने का श्रेय अंग्रेजों को दिया जाता है लेकिन अंग्रेज भारत की कई संरक्षित प्रजातियों को अपने साथ ले भी गए हैं जो आज तक वहां इस्तेमाल की जाती हैं। बोटेनिकल सर्वे आॅफ इंडिया(BSI) के मुताबिक, लगभग 71 साल पहले अंग्रेज जब भारत छोड़ कर जा रहे थे तब वे कई देसी प्रजातियां भी अपने साथ ले गए थे। अब बीएसआई लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम से वे प्रजातियां भारत वापस लाने वाला है।
बीएसआई और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के बीच एक एमओयू (Memorandum of Understanding) पर साइन हुए हैं जिससे भारत के वनस्पति वैज्ञानिकों को खाने वाली फसलों की जंगली प्रतातियों को पहचानने में मदद मिलेगी। इसके अलावा ये एमओयू भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में भी मदद करेगा।
कोलकाता में बीएसआई के डायरेक्टर परमजीत सिंह ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के पास 20 से 300 साल पुराने पौधों के नमूने हैं। वे हमें कुछ जंगली प्रजातियां उपलब्ध कराएंगे जो मुख्य फसलों जैसे गेहूं, बार्ले, चावल आदि का अल्टर्नेटिव हो सकती हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अब भारतीय वनस्पति वैज्ञानिकों की ब्रिटिश म्यूजियम में संरक्षित 60 लाख पौधों के नमूनों तक भी पहुंच होगी।


तीन वनस्पति वैज्ञानिकों ने म्यूजियम में पौधों को पहचानने का काम अभी से शुरू कर दिया है और 15 मार्च तक वे 25,000 से ज्यादा प्रजातियों को स्कैन कर चुके होंगे। इसके बाद बाकी इनवेस्टिगेशन के लिए इन प्रजातियों की डिजिटल इमेज बीएसआई भेजी जाएंगी।
कुछ वनस्पति वैज्ञानिक इसी तरह के प्रोजेक्ट पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान और म्यांमार में भी चला रहे हैं। वे पौधे की प्रजातियों को स्कैन करेंगे और उनकी उत्पत्ति को बढ़ते वैकल्पिक खाद्य फसलों की नीतियों के विकास के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी काम करेंगे।
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