छत्तीसगढ़ जेल प्रशासन की अनोखी पहल: कैदियों ने खोला होटल, पकैड़ी - मंगोड़ी के दीवाने हुए लोग
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की जिला कारागार परिसर में जेल प्रबंधन ने संभाग में अपनी तरह की एक नई योजना की शुरुआत की है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों के जरिए होटल खोला है। कैदी होटल में मंगोड़ी, भजिया व जलेबी बना रहे हैं। शहर में चले रहे अन्य होटलों की तरह यहां बैठकर खाने की व्यवस्था नहीं है।
काउंटर में खड़े होकर सामान खरीदने की सुविधा लोगों को दी गई है। कैदियों के हाथों बने मंगोड़ा,भजिया व जलेबी के लोग दीवाने हो रहे हैं। शाम के वक्त नाश्ता खरीदने वालों की भीड़ लग जाती है।
केंद्रीय जेल प्रबंधन ने बिलासपुर संभाग में एक नई योजना की शुरुआत की है। आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों के हुनर के अनुसार उनको काम दिया जा रहा है। सेंट्रल जेल में ऐसे भी कैदी हैं जिनके हाथों में नाश्ता बनाने का हुनर है। ऐसे कैदियों को प्रोत्साहन देने और उनकी रुचि के अनुसार काम देने के लिए प्रबंधन ने होटल की शुरुआत की है। जेल प्रबंधन ने इसका नाम दिया है आस्था मंगोड़ी सेंटर।
बिलासपुर सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा बताते हैं कि आजीवन कारावास की सजा काट करे कैदियों को उनकी रुचि के अनुसार काम दिया गया है। इसी के मद्देनजर होटल संचालित करने की योजना बनाई गई है। हुनरमंद कैदियों को यह काम दिया गया है।
परिवार सहित यहां आते हैं लोग
यहां मंगोड़ी के अलावा भजिया व जलेबी बना रहे हैं। खास बात ये कि नाश्ता बनाने से लेकर बेचने तक का पूरा हिसाब कैदी ही रख रहे हैं। शाम के वक्त आस्था मंगोड़ी सेंटर की रौनक कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। शहरवासियों की भीड़ भी जुटने लगती है। लोग परिवार सहित यहां आते हैं । सुरक्षा के हिसाब से होटल में बैठकर नाश्ता करने की सुविधा नहीं दी गई है।
कैदियों के खाते में जाते हैं मुनाफे के पैसे
काउंटर से पार्सल या फिर वहीं खड़े होकर खाने के लिए दोना में नाश्ता परोसा जाता है। होटल के सामने डस्टबीन रखा हुआ है। जेल प्रबंधन ने होटल से प्राप्त होने वाली आय को जमा करने की योजना बनाई है। होटल संचालित करने वाले कैदियों के नाम से बैंक में खाता खोला गया है। जेल प्रबंधन की योजना पर गौर करें तो होटल में लगने वाले सामान की लागत के बाद शुद्घ आय को बैंक में जमा करना है। यह राशि होटल चलाने वाले कैदियों की बतौर मेहनताना होगी। एक आला अधिकारी की मानें तो जेल की चहारदीवारी से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे उन्हीं कैदियों को बाहर निकाला जाता है जिन पर जेल प्रशासन को भरोसा होता है।
आचरण और स्वभाव की अच्छी तरह पड़ताल के बाद दी गई अनुमति
जेल के भीतर उनके आचरण और स्वभाव की अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद ही इन कैदियों को होटल चलाने की अनुमति दी गई है। यहां तक कि एक पुलिसकर्मी के साथ ये दो कैदी सामान खरीदने बाजार भी जाते हैं। बाजार में सौदा कर सामान खरीदते हैं और आटो में लेकर होटल आते हैं। होटल प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं लोगों पर है।
रात आठ बजे बंद हो जाता है होटल
जेल प्रशासन ने आस्था मंगोड़ी सेंटर को रात आठ बजे तक खुला रखने की अनुमति दी है। यह सब सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है। जाहिर है जो कैदी होटल चला रहे हैं वे सभी हत्या के आरोप में आजन्म कारावास की सजा भुगत रहे हैं। उनकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी जेल प्रबंधन की है। महिला बैरक कैम्पस के भीतर ही इनको जेल के बैरक में ले जाया जाता है। रात के वक्त मुख्य मार्ग से ले जाने की मनाही है।
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