बिहार का ये कपल कहानी सुना कर बदल रहा है शिक्षा व्यवस्था

ऐसी ही एक कहानी कहने वालों के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं। यह कोई दादी या नानी नहीं, ये हैं स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर। इस स्कूल में एक कपल बच्चों को कहानी सुनाकर उनको पढ़ाता है।
कहानी सुनाकर बच्चों को कर रहे हैं शिक्षित
हम बात कर रहे हैं, ऐसे कपल की जो कहानी के माध्यम से समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है। 'हैप्पी होरिजन ट्रस्ट' जिसे क्षितिज आनंद और उनकी पत्नी वात्सला चलाती हैं, पिछले साढ़े 4 साल से बच्चों को कहानी सुना कर उन्हें शिक्षित बना रहे हैं। साथ ही लड़कियों को अपनी कहानी के माध्यम से सशक्त कर रहे हैं। आपको बता दें कि बिहार वो राज्य है जहां से सबसे ज्यादा IAS बनते हैं। लेकिन अगर साक्षरता की बात करें तो यहां साक्षरता बहुत कम है। लेकिन बिहार के ये कपल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहते हैं।
शिक्षा के बोरिंग व्यवस्था को बदलना होगा
'हैप्पी होरिजन ट्रस्ट' के क्षितिज आनंद ने कहा, "हमने शिक्षा की गुणवत्ता को बदलने के उद्देश्य से काम करना शुरू किया, हमने देखा की हमारे समाज में बच्चों को जो शिक्षा देने के लिए व्यवस्था बनी है वो बहुत ही बोरिंग है। इसमें बच्चों को मजा ही नहीं आता है। ऐसे में जबरदस्ती उन्हें शिक्षा देना का काम किया जाता है, जो कि शिक्षा के स्तर को कम करता है। मैं जब अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली तब मैंने सोचा कि क्यों न समाज में बदलाव का काम किया जाए।' उन्होंने आगे कहा कि हम इसके आगे बढ़ाने के लिए कुछ बड़ी लड़कियों को प्रशिक्षित कर तैयार करते हैं। इसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी दी जाती है।
प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने की जरूरत
क्षितिज आनंद बताते हैं कि प्राथमिक स्तर पर ही शिक्षा की नींव मजबूत करने की जरूरत है। अभी की हालात ऐसी ही है कि 8वीं- 9वीं के बच्चे एक वाक्य को ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं। गणित की तो बात करना ही बेकार है। हमारी संस्था इसी पर ध्यान दे रही है। अब तक जो हो गया वो हो गया, अब आगे भी ऐसी स्थिति न बने इसके लिए हम काम कर रहे हैं। हम अपने लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए 3 साल का फैलोशिप कार्यक्रम करवाते हैं, जिसके तहत बच्चों को कौशल विकास पर ध्यान दिया जाता है। इसके बाद इन्हें टूर पर भेजा जाता है। जहां ये लोग समाजिक क्षेत्र से संबंधित लोगों से मिलते हैं।
समाज पर पड़ रहा है असर
'हैप्पी होरिजन ट्रस्ट' की मेहनत भी रंग ला रही हैं। बच्चों का प्रारंभिक तौर पर विकास हो रहा है। यह संस्था सीखने के दृष्टिकोण को बदलने और कल्पिक शिक्षण कार्यक्रमों पर जोर देती है। इस संदर्भ में क्षितिज बताते हैं कि उनके द्वार प्रशिक्षितों में से एक ज्योति जो एक प्रथामिक स्कूल में शिक्षक का काम कर रहे हैं। वहीं निगर जो हस्तशिल्प की कला में निपुण लोगों को इस काल का ज्ञान दे रहा हैं। नादा और फरहान कपड़े बनाने में सक्ष्म हैं, ये सब गांव में रोजगार परक काम को बढ़ावा देने के लिए मेहनत कर रहे हैं। गांव वालों की स्थिति सुधारने के लिए ये लोग गांव में सूक्ष्म उद्योग बढ़ावा दे रहे हैं।
6 जिलों में चल रहा है काम
आपको बता दें कि हैप्पी होराइजन ट्रस्ट आज बिहार के 6 जिलों में काम कर रहा है - सहरसा, खगरिया, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार। ट्रस्ट ने अब अपना कार्यक्रम वीडियो के माध्यम से भी सीखना शुरू किया है। जहां शिक्षा से जुड़ी शैक्षणिक फिल्मों को मजेदार ढंग से दिखाया जाता है। इन्होंने 26 स्कूलों में करीब 100 फिल्में दिखाई। इस माध्यम से, वे 25000 छात्रों और 400 शिक्षकों तक अपनी पहुंच बना ली। इसके साथ ही ट्रस्ट ने डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट जागरूकता कार्यक्रमों को शुरू किया।
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