बिहार में स्ट्रॉबेरी खेती का युग प्रारंभ, इन किसानों ने उठाया यह बड़ा जोखिम

कहा जाता है कि जोखिम उठाए बिना फायदा नहीं कमाया जा सकता है, तो शायद वैसा ही बिहार के कुछ किसानों ने किया। भविष्य में अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से एक नई खेती का प्रारंभ किया है और यह खेती है स्ट्रॉबेरी। वैज्ञानिकों के दावों के उलट काम करते हुए इन किसानों ने बिहार में नया अध्याय शुरू किया है। यह प्रयोग किया है बिहार में औद्योगिक राजधानी के नाम से मशहूर बेगूसराय जिले के किसानों ने। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो अगले साल से बेगूसराय में एक सौ एकड़ से अधिक जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती होगी।
प्रयोग के तौर पर शुरु हुआ काम
बिहार के बेगूसराय जिले में प्रायोगिक तौर पर चार अलग-अलग प्रकार की जमीन पर 28 अक्टूबर को स्ट्रॉबेरी के बाइस सौ पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों में से करीब बारह प्रतिशत सूख गए हैं तथा शेष पौधे बढ़ रहे हैं। उत्पादन सफल रहा तो अगले सीजन से यहां पर एक सौ एकड़ से अधिक जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती होगी। बिहार में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भी स्ट्रॉबेरी के प्लांटेशन लैब की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है। बिहार में पौधे लगाने के लिए पूना से स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगाया गया है। हवाईजहाज के माध्यम से बाइस सौ पौधे मंगवाकर बिहार में लगाएं गए है।
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स्ट्रॉबेरी पर किसानों की राय
स्ट्रॉबेरी खेती को प्रयोग के तौर पर शुरु करने वाले किसानों में शामिल प्रगतिशील किसान कृष्णदेव राय ने एक हजार पौधे लगाएं है। बखरी शकरपुरा के प्रगतिशील किसान कृष्णदेव राय ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों की किस्मत बदल सकती है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ की खेती में स्ट्रॉबरी की खेती करने में करीब तीन लाख की लागत आती है। अगर मिडिल एवरेज में भी फल लग गया तो कम से कम बारह से पंद्रह लाख तक की बचत होगी। यह पौधा 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है। फिलहाल, बिहार में जो पौधे लगाएं गए है वह कैलिफोर्निया से आए मादा प्लांट के है। इसकी खेती पूना में विकसित करके बड़े पैमाने पर की जा रही है। एक हजार पौधे मटिहानी के किसान विनय कुमार सिंह तथा दो सौ पौधे आधारपुर के किसान सोनू आनंद एवं उनके एक दोस्त ने लगाए हैं।
बिहार में सफल नहीं है स्ट्रॉबेरी की खेती
बिहार में प्रयोग के तौर पर शुरु की गई खेती में अभी फिलहाल दस-बारह प्रतिशत पौधे सूख गए हैं। स्टॉबेरी के जो भी पौधे शेष बचे है वह मात्र 15 दिन में दो प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। किसान कृष्णदेव राय ने बताया कि मुनाफे की इस खेती पर फिलहाल पूना का एकाधिकार है तथा भारत में सर्वाधिक खेती वहीं होती है। वैज्ञानिकों की माने तो बिहार की जलवायु एवं मिट्टी स्ट्रॉबेरी के लिए अनुकूल नहीं है, लेकिन हम लोगों का प्रयोग सफल रहा तो फिर हम लोग इसे उपजा कर जनवरी में फल केंद्रीय कृषि मंत्री तक पहुंचाएंगे।
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