फल के छिलकों से साफ हो सकता है झीलों का गंदा पानी, इस लड़के ने की खोज

बंगलुरू की झीलों का हाल लगातार खराब होता जा रहा है। कई साल से लगातार इनमें कूड़ना डालने, फैक्ट्रियों की गंदगी को गैरकानूनी रूप से बहाने से ये झीलें हद से ज्यादा बुरी अवस्था में पहुंच गई हैं। इसके आस-पास रहने वाले लोगों के लिए ये बहुत बड़ा खतरा है।
वेलंदुर झील यहां की सबसी गंदी झील है। इसमें बहने वाला टॉक्सिक फॉम वेस्ट मैनेजमेंट से लड़ते इस शहर की कहानी कहने के लिए काफी है। कई आर्टिकल्स में तो यहां तक लिखा गया है कि यह कभी न खत्म होने वाली ट्रैजेडी है। शहर में रहने वाले दूसरों लोगों की ही तरह यहां के एमवीजे कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट ए पवन रेड्डी भी इस झील को लेकर चिंतित हैं। बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, मैं वेलंदुर झील की खराब होती स्थिति को देखते हुए बड़ा हुआ हूं। अखबार लगातार इसके बारे में छापते रहे हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे इस समस्या का समाधान हो सके। इसी ने मुझे जवाब ढूंढने के लिए प्रोत्साहित किया।
यह भी पढ़ें : 12 साल की उम्र में इस लड़के ने किया कमाल, डिजाइन की प्रदूषण कम करने वाली शिप
और उन्होंने एक उपाय ढूंढ लिया - जो फल के छिलकों से जुड़ा हुआ है। वह कहते हैं कि मैंने अपनी खोज शुरू की और ऐसे देशों के बारे में जानकारी जुटाई जहां इस तरह की समस्या है। मैंने जाना कि कैसे वो लोग इस समस्या से लड़ते हैं, लेकिन वहां से कुछ फायदा नहीं हुआ क्योंकि उनके सीवेज सिस्टम हमसे बहुत बेहतर हैं। मैं निराश नहीं होना चाहता था, इसलिए मैंने अपनी खोज जारी रखी। इसके बाद मुझे कुछ रिसर्च पेपर्स मिले जिनमें तरबूज, अनानास, पपीता, नींबू और केले के छिलकों की फिल्टरिंग एबिलिटीज के बारे में लिखा था।

मैंने ताजे फलों के छिलकों के साथ शुरुआत की, लेकिन उन्होंने मेरे एक्सपेरीमेंट को पूरी तरह से खराब कर दिया। क्योंकि इन छिलकों में पानी था जो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (रासायनिक रूप से सभी प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा ) के साथ मिलकर काम नहीं कर पा रहा था। इसलिए मैंने धूप में सुखाए हुए छिलकों का इस्तेमाल किया। मैंने उनके पाउडर और उससे फिल्टरेशन मेंबरेन बनाई और उसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाया ताकि सरफेस एब्जॉर्बशन काम करने लगे। उन्होंने झील से पानी लाकर 30 मिनट के लिए इस फिल्टर में डाला। वह कहते हैं कि मैंने शुरुआत में ये पानी 15 मिनट के लिए डाला था और इतनी देर में पानी लगभग 70 फीसदी फिल्टर हो चुका था। इसके बाद मैंने इसे 30 मिनट के लिए डाला और पानी 90 से 92 फीसदी फिल्टर हो गया। मैंने ये एक्सपेरिमेंट 100 एमएल पानी में छिलकों का 1 ग्राम पाउडर डालकर किया था। इस पानी को पीने के अलावा बाकी हर काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें : इस नन्हे पौधे से घर को कर सकते हैं वायु प्रदूषण से मुक्त, जानें खूबियां
इसके बाद अपने एक्सपेरिमेंट को क्रॉस चेक करने के लिए पवन फिल्टर को पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड लेकर गए और यहां भी इसके वैसे ही रिजल्ट मिले जैसे पवन को मिले थे। पवन कहते हैं कि अब मैं इस मेंबरेन को बढ़ाने पर काम कर रहा हूं ताकि इंडस्ट्रिलयल लेवल पर इसका इस्तेमाल किया जा सके और झीलें साफ हो सकें।
इस सेक्शन की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
