जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते थे बच्चे, डीएम ने दिया ये खास उपहार

सब पढ़ें सब बढ़ें का लक्ष्य लेकर सरकार हर संभव प्रयास कर रही है जिससे सभी बच्चों तक शिक्षा पहुंचें लेकिन दूर-दराज के इलाकों में अभी भी स्कूल तक पहुंचने में ही बच्चों के सामने कई चुनौतियां हैं।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में गांव के बच्चे स्कूल तक पहुंचने के लिए टिन के डिब्बों का सहारा लेते थे, क्योंकि और कोई साधन नहीं था स्कूल तक पहुंचने का। ऐसे और भी कई जिले हैं जहां बच्चों को स्कूल तक पहुंचने के लिए कभी नदी पार करना होता है तो कभी कोई अस्थायी पुल।
बालोद जिले में डीलोहारा ब्लॉक के खरखरा डैम के पास एक गाँव है राहटा। गाँव और स्कूल के बीच नदी है जिसे पार करने के लिए बच्चों को टिन के डिब्बों को बांधकर नाव बनाकर पार करना पड़ता था। राहटा गांव में सिर्फ 5वीं तक पढ़ाई करने के लिए स्कूल है। इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए बच्चों को दूसरे गांव अरजपुरी जाना पड़ता है। अरजपुरी तक जाने के लिए भी कोई सड़क नहीं है। सिर्फ नदी को पार करना ही एक रास्ता है।

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डीएम ने दी मोटरबोट
ये खबरें कई बार मीडिया ने उठाई उसके बावजूद भी प्रशासन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बीते मंगलवार को बालोद जिले की कलेक्टर किरण कौशल राहटा गांव निरीक्षण करने पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। डीएम ने तुरंत ऐक्शन लेते हुए एक मोटरबोट की व्यवस्था करने का आदेश दिया। अब बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं है वो रोज स्कूल मोटरबोट से जाते हैं।
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