हजारों साल पुरानी प्रेम कविताओं को सैकड़ों साल पुराने कागजों पर रंगती हैं बकुला


जब बेंगलुरु में रहने वाली वकुला से पूछा गया कि वे अपनी कला को इतने पुराने कागजों पर ही क्यों बनाती हैं और ये कागज उन्हें मिलते कहां से हैं तब वह कहती हैं, मुझे बचपन से ही पुरानी चीजें को इकट्ठा करने का शौक था। पुराने पोस्ट,कार्ड और लेटर्स भी मैं इकट्ठा करती थी। उन्हें देखकर मैं एक अलग ही दुनिया में खो जाती थी। कहीं भी घूमने जाती तो पुरानी चीजें बटोर लेती। कई बार तो कबाड़ से पुराने कागज खरीदती और अपनी सारी पॉकेटमनी उसमें खर्च कर देती। यह आदत आज भी कायम है। इस तरह से मैं पुराने कागज इकट्ठा करती थी। मेरे पर दर्जन भर पूराने कागज पड़े हैं। कई गलने तक लगे हैं। उन्हें हमेशा यादों में संजो कर रखने के लिए मैं उनकी को एक कागज पर चिपका कर उन पर पेंटिंग बना लेती हूं। इससे यह कागज हमेशा के लिए फ्रेम मे कैद हो जाते हैं। वह कहती हैं कि मेरे पास जितने भी पुराने कागज हैं उन सब से जुड़ी एक कहानी भी है और मैं कोशिश करती हूं कि उस कागज की कहानी से जुड़ी कोई पेंटिंग ही उस पर बना सकूं।
क्या खास है उनकी पेंटिंग्स में
बकुला ने तमिल के प्राचीन संगम साहित्य की 15 अलग—अलग कविताओं को चुन कर उन पर पेंटिंग्स बनाई हैं। उनकी लगभग सभी पेंटिंग्स प्यार की कहानियों पर ही आधारित हैं। सभी पेंटिंग्स प्रेम कथाओं पर आधारित हैं। बकुला ने कोशिश की है कि वह प्यार की इन सदियों पुरानी कहानियों को नए तरीके से नए रंगों में रंग कर आज के जमाने के हिसाब से लोगों तक पहुंचा सकें। अपनी ज्यादातर पेंटिंग्स में बकुला ने पक्षियों को कैरेक्टर की तरह इस्तेमाल किया है।
उन्होंने कुछ पेंटिंग्स को तो साल 1910 के कानूनी पन्नों पर बनाया है। हल्का सा ज़र्द रंग खुद में समेटे सौ साल से भी ज्यादा पुराने इन पीले पन्नों पर जब बकुला आकृतियां बनाकर उनमें रंग भरती हैं तो लगता है कि जैसे आखिरी सांस गिन रहे उन पन्नों में नई जान हो गई हो। बकुला ने इन पेंटिंग्स को लीगल पेपर्स, बिल्स, टिकट्स, लव लेटर्स पर उकेरा है। वह कहती हैं, पुराने पीले रंग के कागज मुझे पुराने जमाने की याद दिलाते हैं, उनमें लिखी तारीखें मुझे उस समय की घटनाओं को याद कराती हैं। मैं उस जमाने की तस्वीरों को अपने दिमाग में कैद कर लेती हूं और उन्हें अपनी पेंटिंग्स में शामिल कर लेती हूं। वह कहती हैं कि जब मैंने 4थी — 5वीं सदी में लिखे संगम साहित्य को पढ़ा तो मुझे लगा कि मुझे उस पर पेंटिंग्स बनानी चाहिए और मैंने वही किया। संगम साहित्य 4000 वर्ष पुराना तमिलियन साहित्य है। इस साहित्य में 2500 कविताओं का संग्रह है जिसमें से लगभग 500 कविताओं को फेमस पोयट ए.के रामानुजम ने अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया है।

बकुला बताती हैं कि जब मैं छोटी थी तब मेरी गली के लड़के से मुझे प्यार हो गया था। वो रोज मेरे घर के नीचे से निकलता था। उसके निकलने का वक्त मुझे पता था तो मैं रोज उसी समय बालकनी पर खड़ी हो जाती थी। इस बारे में उसे तो नहीं पता था लेकिन मेरी मम्मी को पता था। मम्मी पूरी कोशिश करती थीं कि मैं उस वक्त बालकनी पर न जाकर अंदर ही रहूं।
बकुला कहती हैं कि जब मेरी 20 साल पुरानी प्रेम कहानी में प्यार करना इतना मुश्किल था तो 4000 साल पहले कितना मुश्किल होगा। उस दौर की मुश्किल लेकिन दिल छू लेने वाली प्रेम कहानियों में मैं रंग भरती हूं। पेंटिंग्स बनाने का शौक तो बकुला को बचपन से ही था लेकिन टीन एज में उनका ये शौक पढ़ाई के बोझ के नीचे दब गया। घरवालों की चाहत को पूरा करने के लिए उन्होंने बेंगलुरु के ही एक कॉलेज से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन किया लेकिन इसके बाद डिजाइन में मास्टर डिग्री लेने के लिए वह अमेरिका चली गईं। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, बकुला ने राल्फ लॉरेन, लॉरियल, केनेथ कोल और करीम रशीद के लिए कई साल तक काम किया लेकिन 2010 में अपने बेटे और पति के साथ वापस भारत आ गईं। वह कहती हैं कि उस वक्त मेरा दूसरा बच्चा हुआ था, मैं उनकी देखभाल कर रही थी, बीमार थी, अपना डिजाइन स्टूडियो चला रही थी। उसी वक्त मेरे पिता की मौत हो गई और इन सारे दुखों से डील करने के लिए मैंने 37 साल की उम्र में दोबारा पेंटिंग करना शुरू कर दिया। यहीं से उनकी कहानी शुरू हुई और आज वे एक बहुत अच्छा डिजाइन स्टूडियो चलाती हैं। कला के शौकीन लोगों के बीच उनकी पेंटिंग्स की काफी मांग है।
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