अनोखे हैं इस ऑटोवाले के नियम, इनसे बनेगा देश बेहतर

आपने पार्क्स, रेलवे और बस स्टेशंस, हॉस्पिटल्स जैसी तमाम जगहों पर कुछ नियम लिखे हुए देखे होंगे। बस और ट्रेन में भी सफर के कुछ नियम होते हैं, लेकिन ऑटो में चलने पर शायद आपको कभी भी नियमों की फेहरिस्त नहीं पढ़नी पड़ी होगी। इस मामले में दिल्ली के सीताराम का ऑटो कुछ अलग है। इनके ऑटो से अगर आप सफर करते हैं तो कुछ नियमों का पालन आपको करना होगा, वरना ये आपको कहीं भी उतार सकते हैं, या बैठाने से ही मना कर सकते हैं।
दिखने में तो सीताराम का ऑटो सामान्य ऑटो जैसा ही है, लेकिन इसका सफर अनुशासन में रहकर ही करना पड़ता है, क्योंकि सीताराम को अनुशासन में रहना ही पसंद है। वह जब तीन साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। इसके साल भर बाद उनकी मां का भी देहांत हो गया। छोटी सी उम्र में ही वह अपनी दादी के साथ खेत में काम करने जाते थे। उनका बचपन आम बच्चों के बचपन जैसा नहीं था, फिर भी उन्होंने खेती करके घर का खर्च चलाया। हालांकि, सीताराम ने कुछ पढ़ाई भी की, लेकिन वो इतनी नहीं थी उन्हें नौकरी दिला सके। अपना घर खर्च चलाने के लिए शुरुआत में उन्होंने एल्युमीनियम फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद एक साइकिल की दुकान में पंक्चर बनाने का भी उन्होंने किया, लेकिन इससे घर का खर्च ठीक तरह से चलाना मुश्किल ही रहता था। उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। इस बीच एक व्यक्ति ने उन्हें सलाह दी की कि वह ऑटो चलाना क्यों नहीं शुरू कर देते।
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सीताराम को ये सलाह पसंद आई और उन्होंने कुछ जोड़े हुए पैसे मिलाकर व कुछ कर्ज लेकर एक ऑटो खरीद लिया। वह दिल्ली में ऑटो चलाने लगे। शुरुआत में उन्हें बहुत कम ग्राहक मिलते थे। उनके दोस्त उस वक्त उनका मजाक उड़ाते थे कि इन नियमों से न ऑटो चलता है और न पेट भरता है, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें ग्राहक मिलना शुरू हो गए और उनके नियमों की कद्र करने वाले भी।

क्या हैं नियम
सीताराम के ऑटो में एक प्लेट लगी है जिस पर कुछ नियम लिखे हैं। बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं - “बस यही मेरा जीने का तरीका है, इन नियमों से मुझे संतुष्टि मिलती है, खुशी मिलती है कि मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया और इन नियमो से दूसरों का भला की होता है।”
1 . ऑटो में चलते वक्त बाहर कचरा फेंकना सख्त मना है, कचरा फेंकने के लिए गाड़ी के अंदर एक डस्टबिन है, उसमें ही कचरा फेंक सकते हैं। अगर आपके पास ज्यादा कूड़ा -कचरा है, तो आप ऑटो में मुफ्त में उपलब्ध बैग ले सकते है।
2 . ऑटो में साफ पानी पीने की व्यवस्था, दुर्घटना होने पर फर्स्ट ऐड किट, आग लगने की स्थिति में एक फायर एक्सटीन्गुइशर, भीषण गर्मी में ऑटो के ऊपर गर्मी से राहत देने हेतु खस की व्यवस्था और पढ़ने के लिए हिंदुस्तान टाइम्स अखबार आदि हमेशा उपलब्ध मिलेगा।
3. सीताराम जब भी ऑटो किसी स्थान पर खड़ा करते हैं तो एक छोटा सा बोर्ड लगा देते है, जिसमें उनका फोन नंबर लिखा होता है, यह इसीलिए कि अगर ऑटो के कारण जाम लग रहा हो या किसी को कोई इमरजेंसी सेवा लेनी हो, तो वो सीताराम को कॉल करके बुला सकते हैं। सीताराम कहते है कि कभी कोई बच्चा फोन करता है कि एग्जाम के लिए जल्दी जाना है तो कभी कोई बूढ़ा फोन करता है कि मुझे घर छोड़ दीजिए ।
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4 . ऑटो में सिगरेट पीना सख्त मना है, जिसे गाड़ी में सिगरेट पीना हो वो दूसरी ऑटो देख सकता है। अगर कोई सवारी इसके बिना नहीं रहा पाती तो सीताराम किसी बिना भीड़-भाड़ वाली जगह पर जागर ऑटो रोकते हैं और उसे वहीं सिगरेट पीने के लिए कहते हैं।
5.सीताराम अपने साथ एक रेडियम जैकेट और सीटी भी रखते है। जब अंधेरे में कभी लम्बा ट्रैफिक जाम लगा हो या कोई एम्बुलेंस फंस जाती है, तब यह जैकेट पहनकर, सिटी बजाकर पूरा ट्रैफिक क्लीयर करने का काम करते है।
वह कहते है, “हो सकता है मेरे इस काम से किसी की जान बच जाए या कोई बच्चा समय पर एग्जाम देने पहुंच जाए। मैं जब भी ट्रैफिक क्लीयर करता हूँ, तो लोगों के चेहरे पर संतुष्टि देखता हूं। बहुत बार तो ऐसा भी हुआ है कि दो घंटे से लम्बा जाम लगा हुआ है और लोग बस हॉर्न बजाए जा रहे है और तब मैं यह जैकेट पहन कर ट्रैफिक क्लीयर करता हूँ। लोग ट्रैफिक से निकलने के बाद राहत की सांस लेते है और बस यही देखकर लगता है चलो आज फिर कुछ अच्छा किया है मैंने।”

जब बचाई एक महिला की जान
सीताराम बताते हैं कि एक रात उनके पास अंजान नंबर से एक कॉल आया और उधर से कोई बोला कि उसकी पत्नी को लेबर पेन हो रहा है और उसे तुरंत अस्पताल ले जाना है। इसके बाद मैं तुरंत ऑटो लेकर निकल पड़ा और उस महिला को प्रसव के लिए कड़कड़डूमा अस्पताल ले गया। सीताराम कहते है, “वैसे तो जिंदगी में खुश होने के बहुत मौके मिलते हैं, लेकिन नवजात बच्चे की उस पहली मुस्कान ने मुझे बहुत हिम्मत दी, ऐसा लगा मानो जीवन में कोई बड़ा लक्ष्य हासिल कर लिया हो।”
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