बिना शराब दो महीने तक नशे में धुत रहा व्यक्ति, डॉक्टरों ने भी किया अलग इलाज
आपने कभी सुना है कि कोई बिना शराब या किसी भी नशे के नशे में रहता हो, शायद नहीं। लेकिन ऐसा ही एक मामला बेल्जियम में देखने को मिला है जहां एक 47 साल का व्यक्ति बिना मदिरा पिये ही दिन भर नशे में झूमता रहता है।
चौंकाने वाली ये घटना बेल्जियम की है जहां एक व्यक्ति को ब्रीवेरी नाम की एक बीमारी के कारण बिना शराब या कुछ और पिये नशा बना रहता है। इस बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टरों को भी एक अजीबो गरीब इलाज करना पड़ा। जिसके तहत डॉक्टर्स को एक स्वस्थ इंसान के मल को प्रत्यारोपित कर उसका इलाज करना पड़ा।
बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टरों को भी एक अजीबो गरीब इलाज करना पड़ा जिसमें मल को प्रत्यारोपित कर उसका इलाज करना पड़ा
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बड़ी अजीब है ये बीमारी
बेल्जियम की एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक व्यक्ति पूरे दो महीने तक नशे में धुत रहा। जबकि उसने इस दौरान शराब या अन्य किसी नशीले पदार्थ को हाथ भी नहीं लगाया है। जब यह शक्स इलाज के लिए यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल 'घेंट' पहुंचा तो पता चला कि उसको एक अजीब बीमारी है जिसे ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम कहा जाता है।
यह एक बड़ी दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर कार्बोहाइड्रेट के संपर्क में आने पर आंत में इथेनोल बनाने लगता है। पहले इस व्यक्ति को कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार दिया गया लेकिन इससे उसे कोई खास फ़ायदा मिलता नहीं दिखा।
बीमारी का अलग उपाय
जब इस व्यक्ति को इलाज से फायदा नहीं मिला तो फिर डॉक्टरों ने उसकी आंत में एक स्वस्थ डोनर का मल प्रत्यारोपित किया।
आंत की ज़्यादातर बीमारियों में मल प्रत्यारोपित की तकनीक अब ज्यादा ही प्रचलित होती जा रही है। इस प्रकार के इलाज से आंत में मौजूद खराब और दुष्प्रभावी बैक्टीरिया का खात्मा किया जाता है। और अच्छे बैक्टीरिया को आंत तक पहुँचा दिया जाता हैं। ताकि वो सही तरीके से काम कर सके। इस इलाज की पद्धति पर और ध्यान दिया जा रहा है ताकि सी. डिफ और कैंसर के मरीजों पर भी इसका स्तेमाल किया जा सके।
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शरीर पर बीमारी का प्रभाव
यह बीमारी बेहद गंभीर है और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका बहुत ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। शरीर में शराब का स्तर बढ़ जाता है, नशा चढ़ने लगता है और लिवर के संचालन में गड़बड़ी आती है। इस बीमारी का जोखिम मोटापे और क्रोन बीमारी से पीड़ित लोगों में साथ ही जिन्हें डायबिटीज़ है उनमें ज्यादा पाया जाता है।
आपको बता दें कि अब तक इस बीमारी के कारणों के बारे में किसी को पता नहीं है, लेकिन पीड़ित लोगों के आंतों के नमूने में कई प्रकार के यीस्ट और बैक्टीरिया को देखा गया है। एक हालिया शोध में पता चला है कि ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम की पहचान करना मुश्किल है। इस पूरे मामले को बेल्जियम में एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है।
इलाज का तरीका
स्वस्थ व्यक्ति का मल प्रत्यारोपित करने के लिए ज़्यादातर मामलों में कोलोन में मल डाला जाता है। इसके अलावा मल को सूखा करके उसकी गोली बनाई जाती है और उसे भी मरीज को खिलायी जाती है। प्रत्यारोपण के बाद इस मरीज की निगरानी करने के बाद उसकी सेहत में बेहद सुधार देखा गया।
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