उन्नाव में पशुओं का सहारा बने अखिलेश

पेशे से पत्रकार उन्नाव के रहने वाले अखिलेश अवस्थी अपनी शुरुआत के बारे में बताते हैं, "एक बार मोबाइल में स्लाटर हाउस का वीडियो देखा, जिससे मुझे लगा कि इन बेज़ुबान पशुओं के लिए कुछ करना पड़ेगा। उसके बाद ही गौवंश की रक्षा का संकल्प ले लिया। काशी तक पदयात्रा करने की घोषणा कर दी और आज मेरा जीवन सिर्फ यही है।"
कई दिक्कतों के बाद भी मार्च 2016 में पदयात्रा पूरी कर वापस लौटे अखिलेश ने खेतों के किनारे लगाए गए ब्लेड वाले तारों के खिलाफ अभियान चलाने के साथ ही हनुमंत जीव आश्रय की स्थापना की भी तैयारी प्रारंभ कर दी थी। वर्ष 2016 में बने हनुमंत जीव आश्रय पर शहर के घायल मवेशियों के उपचार और देखरेख का काम होता है। अभी तक केंद्र में एक वर्ष के भीतर 50 से अधिक मवेशियों के उपचार का काम किया जा चुका है।
अखिलेश के बड़े दिल के बारे में एक बात और है जो सुनकर उनकी इज्जत और बढ़ जाती है। वे लावारिश शवों का अंतिम संस्कार भी करते हैं। उनकी इस मुहिम से गंगा नदी में लाशों को प्रवाहित करने का सिलसिला काफी थम गया है।
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