'फरिश्ता' बने ड्राइवर चंद्रशेखर, इमरजेंसी ब्रेक लगाकर बचाई सैकड़ों लोगों की जान

मुंबई में अंधेरी रेलवे स्टेशन के पास गोखले ब्रिज का एक हिस्सा गिर गया, जिससे पांच लोग घायल हो गए। अंधेरी में हुए इस हादसे में और लोगों की जान जा सकती थी, लेकिन फरिश्ता बनकर ड्राइवर चंद्रशेखर आ गए। उनकी सतर्कता की वजह से ट्रेन पर सवार सैकड़ों लोगों की जान बच गई। उन्होंने हादसे को देखते हुए तत्काल में इंमरजेंसी ब्रेक लगा दिया, जिसकी वजह से अंधेरी में एक बड़ा हादसा होने से टल गया।
जिस समय गोखले ब्रिज के पास हादसा हुआ, उसी समय बोरावाली से चर्चगेट की तरफ लोकल ट्रेन जा रही थी। ट्रेन को चंद्रकांत सावंत चला रहे थे। ट्रेन अंधेरी से कुछ आगे बढ़ी ही थी कि ड्राइवर ने फुटओवर ब्रिज गिरते हुए देख लिया और तुरंत ही इमरजेंसी ब्रेक खिंच दी। और ट्रेन हादसा स्थल से पहले करीब 50 मीटर की दूरी पर ट्रेन खड़ी हो गई। चंद्रशेखर सांवत ने एएनआई को बताया कि इमरजेंसी ब्रेक की वजह से ट्रेन ब्रिज से कुछ पहले ही रूक गई। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया कि जिस समय ब्रेक लगाई उस समय ट्रेन की रफ्तार 50 किमी घंटे के हिसाब से चल रही थी। मेरी दूरी 60 से 50 मीटर की रही होगी, जैसे ही मैंने ब्रेक लगाई वैसे ही गाड़ी अपनी जगह पर खड़ी हो गई। उन्होंने बताया कि हम लोगों को ऐसे हादसे के समय कैसे ब्रेक मारनी चाहिए इसके बारे में बताया जाता है और वहीं आज मेरे काम आया। उन्होंने कहा कि मेरे ब्रेक लगाने कोई भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ।
बता दें कि ड्राइवर का 27 साल अनुभव काम आया और इस वजह से ट्रेन में यात्रा कर रहे सैकड़ों लोगों की जान बाल-बाल बच गई। उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ अपना काम किया था, यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाना हमारा कर्तव्य होता है और हमने वही काम किया। ड्राइवर की बहादुरी की बात जब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सुनी तो उन्होंने ड्राइवर चंद्रशेखर सावंत को इनाम देने की भी घोषणा की है। चंद्रशेखर सावंत के पश्चिमी रेलवे ने पांच लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की है। इसके अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया था और उन्होंने बताया कि रेलवे सेफ्टी कमिश्नर 15 दिन में जांच रिपोर्ट देंगे। उन्होंने 5 घायलों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का भी एलान किया।
अब अपनी जिम्मेदारी से बच रहे बीएमसी व रेलवे
गोखल ब्रिज गिरने के बाद अब बीएमसी और रेलवे एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। दोनों ही अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। बीएमसी ने माना है कि गोखले पुल का निर्माण साल 1975 में बना था। ये पुल बीएमसी का है लेकिन जितना हिस्सा रेलवे ट्रैक से गुजरता है, उसकी जिम्मेदारी और सुरक्षा रेलवे की है। वहीं रेलवे का कहना है कि पुल की पूरी जिम्मेदारी रेलवे की थी। बता दें मुम्बई में इधर के कुछ सालों में हो रहे हादसों को पर एक आरटीआई पुलों की संरक्षा को लेकर मांगी गई थी। आरटीआई के मुताबिक गोखले पुल को लेकर साल 2016 में आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी गई थी, उस वक्त कहा गया था कि सब ठीक है।
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