अमृत देसाई ने पेश की मिसाल, अपनी बेटी के साथ ही 7 दलित लड़कियों की कराई शादी
हर कोई शादी में अपना स्टेटस दिखाने की कोशिश करता है। भव्य शादी से लेकर हनीमून मनाने तक के लिए बड़े बजट की योजना बना ली जाती है। लेकिन गुजरात के बनासकाठा जिले के अमृत देसाई की सोच इन सब से लेकर अलग थी। उन्होंने लकीर से हटकर अपनी बेटी के साथ ही उन बेटियों की शादी के साथ ही दलितों की बेटियों के हाथ पीले करने का निर्णय लिया और अपनी बेटी के साथ ही 7 दलित बेटियों की एक ही मंडप के नीचे शादी कराई। धर्म और जाति से परे समाजसेवा कर मिसाल कायम करने वाले अमृत देसाई इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं।
अमृत देसाई ने अपनी बेटी की शादी में 7 दलित लड़कियों के भी हाथ पीले कराकर मिसाल कायम की है। यह शादी समारोह गुरुवार (27 अप्रैल) को पालनपुर के पाटन टाउन में संपन्न हुआ। बताया जा रहा है कि इस सामूहिक विवाह समारोह में करीब 3 हजार लोग शामिल हुए। अमृत देसाई गुजरात के बनासकाठा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी बेटी के साथ-साथ 7 दलित लड़कियों की शादी का पूरा खर्च खुद ही उठाया। इतना ही नहीं इन जोड़ों को नए जीवन को शुरू करने में मदद करने के लिए भेंट स्वरूप गृहस्थी में इस्तेमाल होने वाले सामान दिए। सभी 8 लड़कियों की शादी एक साथ एक ही मंडप में संपन्न हुई।
जातिगत भेदभाव को मिटाने का प्रयास
इस मौके पर अमृत ने कहा कि अपनी बेटी के साथ दलित लड़कियों की शादी कराकर मैं समाज में सदियों से चले आ रहे जातिगत भेदभाव को दूर करना चाहता था। उन्होंने बताया कि जाति के नाम पर भेदभाव एक ऐसी सामाजिक बुराई है जिसे मिटाने के लिए यह एक प्रयास भर है। अभी भी इस दिशा में काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह हमारे समाज में गहराई से दलित समुदाय के लोगों के प्रति सामाजिक बुराई और उदासीन दृष्टिकोण से छुटकारा पाने की हमारी योजना थी। उन्होंने आगे कहा, "जब अपनी बेटी की शादी को अंतिम रूप से फाइनल किया गया तो मैंने सामाजिक परिवर्तन शुरू करने का ये एक अच्छा मौका देखा। इसके बाद मैंने प्रयास शुरू कर दिए।
गांव वालों ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा
पाटन शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर ऐसी भव्य शादी का आयोजन किया गया जिसमें 3 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि अपनी बेटी के साथ दलित बेटियों की शादी कराने के लिए पहले मैंने बेटी के ससुराल वालों से सहमति मांगी थी। वो सब इसके लिए तैयार हो गए। इसके बाद गांव वालों से इस बारे में विचार-विमर्श किया। लोगों ने सिर्फ मेरे प्रस्ताव को स्वीकार किया बल्कि नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देने भी पहुंचे।
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