पुलिस वाले बन गए किसान, कुछ इस तरह बदल गई थाने की तस्वीर

पुलिस स्टेशन का नाम आते ही पुलिस, मुजरिम और जेल की तस्वीर सामने आ जाती है लेकिन आज हम आपको एक ऐसा थाना बताने जा रहा है जहां पर कुछ अधिकारियों ने उसे गोद लेकर कुछ इस तरह संवारा कि आज वहां की तस्वीर बदल गई है और कभी बंजर रही भूमि में आज हरियाली छाई है। ये पुलिस स्टेशन केरल के वायनाड जिले का अम्बलावायल है। जहां पर सब्जियों को उगाया जा रहा है। ये पुलिस स्टेशन भी कभी दूसरे स्टेशनों की ही तरह दिखता था।
कुछ इस तरह से शुरू हुआ पुलिस स्टेशन का उद्धार
पुलिस स्टेशन की स्थिति को सुधारने का विचार यहां पर तैनात सब इंस्पेक्टर अब्बास अली के मन में तीन महीने पहले आया था। परिसर में खाली पड़ी लगभग 17 हज़ार स्क्वायर फीट जमीन पर कुछ करना चाहते थे। उन्होंने थाने में हरियाली लाने के लिए आगे से लेकर पीछे तक पड़ी खाली जमीन पर फल और सब्जियां उगाने का निर्णय लिया लेकिन ये काम आसान नहीं था। सरकारी जमीन पर ये काम करने के लिए उन्होंने अधिकारियों के सामने ये प्रस्ताव रखा।
उन्होंने अधिकारियों को गोद लेकर जैविक खेती कराने का भी प्रस्ताव रखा। इसके लिए उन्होंने 34 कर्मियों से रिपोर्ट लिखवाई और सभी ने इस काम को करने पर सहमति जताई। अधीनस्थों का ये प्रस्ताव आने पर अधिकारी भी खुशी-खुशी किसान बनने को सहमत हो गए। अधिकारियों द्वारा प्रस्ताव स्वीकार करना ही थाने के कर्मियों के लिए किसी ऐतिहासिक क्षण से कम नहीं था। इसके बार यहां पर तस्वीर बदलने की तैयारी शुरू कर दी गई।
इस तरह से शुरू हुआ सब्जी उगाने का काम
अधिकारियों द्वारा गोद लिए जाने के बाद इस पर काम शुरू हो गया। हर दिन तीन से चार अधिकारी स्वंय आकर पौधों को पानी देते तथा श्रमदान करते हैं। पुलिस स्टेशन के एएसआई चामी के अनुसार "हम जानते थे कि हमें पहले स्टेशन के चारों ओर जमीन को कवर करना होगा। इसके बाद मिट्टी के ढेर को खेतों में समतल किया गया। यही नहीं सब्जियों का उत्पादन भी आधुनिक तरीके से किया गया। इसके लिए एक बैग में गोबर का पाउंडर को भरते थे। इसको उगाने के लिए आधुनिक तरीके को अपनाया गया। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों को भी खरीदा गया।
40 से अधिक सब्जियों का होता है उत्पादन
थाना परिसर में केवल एक नहीं बल्कि 40 से अधिक सब्जियों व फल का उत्पादन होता है। परिसर के सभी व्यक्तियों की मेहनत की वजह से अब यहां पर हरियाली आ रही है। थाने परिसर में हर दिन कोई न कोई अधिकार अपनी ड्यूटी से कुछ समय निकालकर यहां पर आते है और यही पर श्रमदान करते हैं। सबकी मेहनत का नतीजा रहा है कि आज यहां पर अलग-अलग तरीके की 40 से अधिक सब्जियां उगाई जा रही है। पूरी बाग में इन सभी के लगभग 500 से अधिक पौधे है और इस तरह से ये पूरा सम्पन्न खेत है। अब यहां पर चार प्रकार के मिर्च, तीन प्रकार के बैंगन, कद्दू, सफेद कद्दू, पालक, सेम, ओकरा, कड़वा गार्ड्स, सांप गोर, टमाटर और गोभी की पैदावार की जाती है। यही नहीं यहां पर अरवी भी विकसित की जाती है, कुछ जमीन के अंदर तथा कुछ बाहर बैग में रखकर भी उगाया जाता है।

खेती करने में सभी है एक सामान
इससे अच्छी और बात क्या हो सकती है कि थाने में खेती करने में किसी के बीच में कोई फैसला नहीं रहता है। यही कारण है कि आज थाने परिसर में बेहतर खेती होती है। एएसआई चामी ने बताया कि बंजर खेती को कैसे करके एक बेहतर खेत के रूप में बदल दिया गया, इसकी प्रेरणा और कोई नहीं बल्कि हमारे अधिकारी ही है। उन्होंने बताया कि जब खेत में आते हैं तो सभी किसान हो जाते हैं। यहां पर जूनियर व सीनियर और अधिकारी जैसा कोई फैसला नहीं रहता है। सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं। हर कोई खेती का मालिक है। उन्होंने बताया कि "हमारे एसआई से लेकर कनिष्ठ कॉन्स्टेबल तक, हर कोई खेत में जाता है। " उन्होंने बताया कि उत्पादित सब्जी को बाजार मूल्य पर अधिकारियों को बेचा जा रहा है और मिलने वाले पैसे को स्टेशन के रख-रखाव के लिए रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में भविष्य में यहां पर किसानों के लिए बहुत कुछ किया जाएगा।
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