वेलेन्टाइन डे पर एसिड पीड़िता प्रमोदिनी को मिला सजना का हाथ

वहीं दूसरी तरफ सरोज है, जिसने अपनी मोहब्बत से प्रमोदनी की जिंदगी को गुलजार कर दिया है। सरोज साहू ने चेहरे को न चुनकर बल्कि मोहब्बत के खूबसूरत दिल को चुना। और वेलेन्टाइन डे के मौके पर प्रमोदिनी का हाथ थामकर इस मौके पर ऐसा कुछ किया जो समाज के लिए एक आइना और एक मिसाल है। शिरोज हैंगऑउट कैफे में हुए इस खूबसूरत कार्यक्रम के गवाह बनने व आशीर्वाद देने के लिए कबीना मंत्री स्वाति सिंह सहित लखनऊ शहर के गणमान्य लोग पहुंचे ।
प्रमोदिनी का डाॅक्टर बनने का था सपना
ओडिशा की रहने वाली प्रमोदिनी उर्फ रानी को एकतरफा प्यार का शिकार होना पड़ा। देखने में बहुत ही खूबसूरत व प्यारी लगने के कारण प्रमोदिनी को बचपन से ही सब रानी कहते थे। प्रमोदिनी की खूबसूरती ही उसके जीवन में अधियारा ले आई। कभी डाॅक्टर बनने का ख्वाब देने वाली प्रमोदिनी के सपनों पर 12वीं क्लास में ही विराम लग गया। 2009 में वह 12वीं का आखिरी परीक्षा देने के बाद घर वापस आ रही थी कि तभी रास्ते में उसके ऊपर एसिड अटैक हो गयां एसिड अटैक होते ही उसके सारे सपने सिर्फ सपने ही रह गए। हंसता-खेलता जीवन अस्पताल में आ बसा। एसिड अटैक होने के कारण पांच साल तक उनका जीवन अस्पताल व बेड पर ही गुजरा। प्रमोदिनी के अनुसार उस पर हमला करने वाला घर और स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले एक कैम्प में रहता था। वह फौजी था। वह दो साल से परेशान कर रहा था। वह जबरदस्ती मुझसे शादी करना चाहता था, लेकिन आंखों में बेहतर भविष्य का सपना होने के कारण मैंने उस उम्र में शादी करने से मना कर दिया। प्रमोदिनी के शादी से मना करने की बात उस बावले फौजी नागवार गुजरी और उसने इस घटना का बदला लेने की सोची। प्रमोदिनी बताती है कि जब मैंने उसे मना किया तो उसने मुझ पर एसिड डाल कर बदला ले लिया। उस अटैक के बाद नौ महीने मैं आईसीयू में थी। नौ महीने के बाद 24 घंटे के लिए कोमा में चली गई थी और जब मैं होश में आई तो मेरे हाथ और पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। मेरी आखें पूरी तरह से अंधी हो गई थीं।

अस्पताल में ही सरोज से हुआ प्यार
प्रमोदिनी के अनुसार पांच साल तक बेड पर रहने के बाद एक प्राइवेट हॉस्पिटल में मुझे एडमिट कराया गया। यह 2014 की बात है। वही पर एक नर्स थीं, जो अपने साथ एक दिन सरोज को लेकर आईं। सरोज को उसने पूरी हकीकत बताई फिर इसके बाद सरोज ने प्रमोदिनी को साथ देने का वादा किया। एक समय डॉक्टर ने कह दिया था कि प्रमोदिनी के पैर को ठीक होने में नौ-दस महीने लग जाएंगे, लेकिन सरोज ने डॉक्टर से कहा कि मैं प्रमोदिनी को चार महीने में अपने पैरों पर खड़ा करके दिखाऊंगा और उन्होंने ऐसा करके भी दिखाया। वह अपने सहारे से मुझे चलाते, टाइम पर दवा देते और पूरा ध्यान रखते। उनकी मेहनत रंग लाई और मैं चार महीनों में अपने पैरों पर खड़ी होने लगी। प्रमोदिनी के खातिर खातिर सरोज कुमार ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी और पूरा वक्त रानी को ठीक करने में लगा दिया।
2016 में जाॅब करने लगी थी प्रमोदिनी
सरोज कुमार की मेहनत से ठीक हुई रानी ने रोजी-रोटी की तलाश के लिए इंटरनेट का सहारा लिया। रानी को इंटरनेट के जरिए शिरोज के बारे में पता चला और 2016 में वह दिल्ली जॉब करने के लिए चली गई। सरोज कुमार के अनुसार 2014 से मिलने के बाद हम दोनों ही लोगों में आपसी प्रेम बढ़ गया और हम दोनों एक अच्छे दोस्त बन गए। रानी के दिल्ली जाने के बाद सरोज कुमार को अहसास हुआ कि मैं रानी के बिना अधूरा हूं। उसी साल मैंने रानी को प्रपोज किया। एक बार प्यार में अपने खूबसूरत चेहरे को गवां चुकी रानी इतनी जल्द राजी नहीं हुई। उसका कहना था कि मैं देख नहीं पाती हूं, अपना काम तो कर नहीं पाती किसी की पत्नी कैसे बनूंगी। फिर रानी ने अपनी आंखों का ट्रीटमेंट करवाया, जब उसकी एक आंख में बीस परसेंट विजन आ गया तब उसने मेरे प्रपोजल को स्वीकार किया। आखिरकार दोनों के घरवाले भी राजी हो गए और दोनों ही नोएडा में नौकरी कर रहे हैं। 14 फरवरी को दोनों की सगाई हो गई है और अगले वर्ष दोनों ही शादी करने की इच्छा है।
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