इस गांव में हर घर से एक आदमी भारतीय सेना में है तैनात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिवाली लोगों से अपील की है कि वो सीमा पर तैनात सेना के जवानों को धन्यवाद कहते हुए उन्हें संदेश भेजें। देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए हम लोगों को ऐसे कार्य करते ही रहने चाहिए, अगर हम देश की सुरक्षा में तैनात नहीं हो सकते तो उनका मनोबल बढ़ाकर ही देश की एकता को और मजबूत कर सकते है।
बात अगर सेना की हो रही है तो क्या आप जानते हैं देश में एक गांव ऐसा भी है जहां हर घर से कम से कम एक आदमी सेना में है? है न अनोखी बात! तो आज हम आपको ऐसे ही एक गांव की कहानी बताने जा रहे हैं जहां हर घर से कम से कम एक आदमी सेना में है। किसी-किसी घर से 4-4 लोग सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश में अमरावती से 150 किलोमीटर दूर गोदावरी ज़िले की गोद में बसा एक छोटा सा गांव है माधवरम। इस गांव का अपने निवासियों को सैन्य सेवा में भेजने का एक अलग ही शानदार इतिहास है।
इस गांव के लगभग हर घर से कम से कम एक सदस्य भारतीय सेना में नौकरी कर रहा है। किसी किसी घर के तो 4 सदस्य तक भारतीय सेना में हैं। वास्तविकता में इस गांव में 109 लोग ऐसे हैं जो सेना में ही कोई न कोई नौकरी कर रहे हैं।
बच्चों के नाम कर्नल, मेजर और कैप्टन
100 से भी ज्यादा परिवारों ने बड़े ही गर्व के साथ अपने सम्बन्धियों द्वारा युद्ध में जीते गए पदकों को घर में सजाया हुआ है। गांव में नौकरी से रिटायर लोग खुद को अपने नाम से बुलाये जाने की जगह सेना में अपने पद के नाम के बुलाया जाना पसंद करते हैं। यहां की औरतें भी एक सैनिक से शादी करना ज़्यादा पसंद करती हैं और यहां तक कि बच्चों के नाम कर्नल, मेजर और कैप्टन रखे जाते हैं।
माधवरम का इतिहास
माधवरम गांव 17वीं शताब्दी के गजपति राजवंश, जिसका शासन आज भी उड़ीसा और दक्षिणी पठार पर है, के राजा पुष्पति माधव वर्मा ब्रह्मा का रक्षा ठिकाना था। इस राजा के ही नाम पर इस गांव का नाम माधवरम पड़ा, इस राजा ने माधवरम से 6 किमी दूर आरुगोलु गांव में मोर्चेबंदी के लिए एक किला भी बनवाया था, जिसके भग्नावशेष आज भी वहां मौजूद हैं।
माधवरम के सैनिक स्वतंत्र भारत के हर संग्राम का हिस्सा रहे हैं। आज भी माधवरम गांव के 250 सैनिक देश की सीमा की रक्षा कर रहे हैं। माधवरम के लोगों ने यहां के सैनिकों के बलिदान और सेवा की स्मृति में नयी दिल्ली अमर जवान ज्योति की तर्ज़ पर एक शहीद स्मारक का निर्माण कराया है।
माधवरम गांव के ही एक सेनानिवृत सैनिक उर्रिका सीतारमय्या की बेटी श्री रामनन ने भी इस गांव पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाई है।
माधवरम की सैन्य परम्परा और उसकी देश सेवा लोगों की नज़रों से छुपी नहीं रही । रक्षा मंत्रालय ने सैन्यसेवा में इस गांव के अतुलनीय योगदान को संज्ञान में लिया और गांव को और भी विकसित करने का निर्णय लिया । रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जल्द ही माधवरम में एक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला रखेंगे।
मूल स्टोरी: द बेटर इंडिया
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