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ईमानदारी अभी भी जिंदा है ये बात साबित करके दिखाई मुंबई के एक कूड़ा बीनने वाले विश्वजीत ने। ठाणे रेलवे स्टेशन की पटरियों पर कचरा बीनने वाले विश्वजीत गुप्ता को एक महिला का रुपयों से भरा हैंडबैग जब मिला तो उन्होंने तुरंत इसे ठाणे स्टेशन मास्टर के पास जाकर वापस कर दिया।
ईमानदारी अभी भी जिंदा है ये बात साबित करके दिखाई मुंबई के एक कूड़ा बीनने वाले विश्वजीत ने। ठाणे रेलवे स्टेशन की पटरियों पर कचरा बीनने वाले विश्वजीत गुप्ता को एक महिला का रुपयों से भरा हैंडबैग जब मिला तो उन्होंने तुरंत इसे ठाणे स्टेशन मास्टर के पास जाकर वापस कर दिया।
विश्वजीत ने बताया कि जब मैंने पर्स खोलकर देखा तो उसमें उसमें क्रेडिट और डेबिट कार्ड के साथ 2000 रुपये के 16 नोट थे। मैंने सोचा उस इंसान की क्या हालत होगी जिसका ये पर्स होगा और यही सोचकर मैंने पर्स आकर स्टेशन मास्टर के पास जमा कर दिया। विश्वजीत ने ये भी कहा कि भले मैं हालात का मारा हूं लेकिन जमीर अभी भी जिंदा है। ये बैग एक महिला यात्री का था जिसके महीने भर की कमाई उस बैग में थी।
लोअर परेल में काम करने वाली आकांक्षा अपने घर ठाणे जा रहीं थीं। भीड़ में ट्रेन से उतरते समय उनके बैग का हैंडल टूट गया और बैग ट्रैक पर गिर गया। घर पहुंचने पर उन्हें इसका पता चला, तो उन्होंने फौरन ठाणे स्टेशन पर मौजूद अपने दोस्त को फोन किया। दोस्त स्टेशन मास्टर विजय रजक से मिला, तब विश्वजीत बैग जमा करवा रहा था। बाद में आकांक्षा को बुलाकर बैग दे दिया गया, आकांक्षा ने विश्वजीत को 500 रुपये का इनाम दिया।
आकांक्षा ने बताया, ‘यह उसकी मार्च की पूरी सैलरी थी। घर पहुंचने पर जब बैग नहीं मिला, तो जैसे उसके आंखों के सामने अंधेरा छा गया। विश्वजीत ने जो किया है, वह साबित करता है कि आज के दौर में भी ईमानदारी जिंदा है।’