पुराने अखबार बेचकर गरीबों की मदद कर रहे हैं बीटेक के ये छात्र
किसी की मदद करने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं! कहने का मतलब यह है कि किसी आर्थिक रूप से मदद करने के लिए सबसे पहले आपको आर्थिक रूप से मजबत होना पड़ेगा। लेकिन अगर आप नहीं हैं फिर भी अगर आप किसी की मदद कर सकते हैं तो जाहिर सी बात है आपने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया होगा! ऐसी ही ये कहानी।
तेलंगाना के मियापुर में कुछ छात्र बिना किसी आर्थिक मदद के गरीबों को कंबल बांट रहे हैं। ये सभी छात्र बीटेक कर रहे हैं, एक दिन इनके ग्रुप ने देखा कि सड़क किनारे गरीब लोग कंबल लपेट कर सो रहे हैं, उसके बाद छात्रों के इस ग्रुप ने इनकी मदद करने की सोची लेकिन पैसों की दिक्कत की वजह से वो ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं थे।
पुराने अखबार इकठ्ठा करने का किया फैसला
इसके बाद छात्रों के इस ग्रुप ने एक रास्ता निकाला, वो आसपास की कॉलोनियों और अपार्टमेंट में जाकर पुराने अखबार इकठ्ठे करने शुरू करने का फैसला किया। इसके बाद उन लोगों ने उस अखबार को रद्दी में बेचकर उन गरीबों के लिए सर्दियों में कंबल की व्यवस्था की, आप यकीन नहीं मानेंगे इन लोगों ने कुछ ही दिनों में करीब 1000 किलो रद्दी इकठ्ठा कर ली, जिसे बेचकर उन लोगों लोगों करीब 10 हजार रुपये जोड़ लिए।
फिर क्या छात्रों के इस ग्रुप ने गरीबों में कंबल बांटने का काम शुरू कर दिया। इन छात्रों के संगठन ‘यूथ ऑफ नेशन’ के एक सदस्य अमित पांडे ने बताया कि उनकी टीम ने 250 लोगों की पहचान की है, जिन्हें कंबल की जरूरत है। हम उनके लिए कंबलों की व्यवस्था करेंगे।
वहीं पास में सेरिलिंगमपाली में एक अन्य टीम का नेतृत्व कर रहे श्रीकांत ने बताया कि उनकी टीम ने करीब 430 किग्रा अखबार जमा किए और इसे बेचकर 4,000 रुपये की व्यवस्था की और गरीबों में कंबल बांटने का काम शुरू कर दिया।
इस तरह की खबरें कहीं न कहीं, आपको जगाने का काम करती हैं। अगर आप किसी की मदद करने के लिए अपनी जमा पूंजी को नहीं लगा सकते तो ऐसे कई रास्ते हैं जब आप किसी की मदद कर सकते हैं। अगर आप ये काम खुद नहीं कर सकते तो किसी संगठन की मदद लेकर इस तरह के काम कर सकते हैं। टीम इंडियावेव इस तरह के काम करने वालों को सैल्यूट करती है।
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