स्कूलों से हो जाए बच्चों को प्यार, इस कपल ने निकाली अनोखी तरकीब

स्कूलों में ड्रॉप आउट की समस्या शिक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है, गाँव में बच्चे खासकर लड़कियां बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं क्योंकि अभिवावक भी इतने जागरूक नहीं है कि उन्हें पढ़ाई का महत्व समझा सकें। लेकिन हैदराबाद के एक कपल स्वाति और विजय तेलंगाना ने इस समस्या को देखा और इसे दूर करने के लिए अपनी आर्ट का इस्तेमाल किया।
ये कपल आज पूरे हैदराबाद में अपने इसी काम के लिए जाना जाता है। ये उन स्कूलों को चुनते हैं जहां पर बच्चों की उपस्थिति कम होती है और वहां की दीवारों पर पेटिंग बनाते हैं। उन्होंने 2016 में एक आर्टिकल में पढ़ा जिसमें तेलंगाना के लगभग 2000 स्कूलों में ड्रॉपआउट के बारे में पता चला उसके बाद से उन्होंने ये आर्ट प्रोजेक्ट का काम शुरू किया।
स्वाति ने योर स्टोरी को बताया, ये आंकड़े बहुत डरावने वाले थे, हमें समझ नहीं आ रहा था कि इन स्कूलों की हालत को कैसे सुधारा जाए। बहुत सोचने के बाद हमने सोचा कि हम स्कूल की दीवारों पर ऐसे पेटिंग्स बनाएंगें जिसे देखकर बच्चे जागरूक हों और पढ़ाई बीच में न छोड़ें। उन्होंने सबसे पहले वारंगल के रंगासियापेट गांव में जाकर स्कूल की दीवारों पर रंग बिरंगे चित्र बनाएं। उस स्कूल में पहले सिर्फ 15 बच्चे थे। स्वाति ने बताया, 'यह काफी मेहनत का काम था। हमने बच्चों को भी पेंटिंग में लगा दिया हमने बच्चों की तस्वीरें खींचीं और उन्हें दीवारों पर पेंट किया, इससे बच्चों में काफी उत्साह जागा।
बच्चों ने जब अपनी ही तस्वीर दीवार पर देखी तो वे पढ़ने के लिए और प्रेरित हुए। स्वाति और विजय एक स्कूल में पेंटिंग करने में लगभग 10 दिन लेते हैं। वे बताते हैं कि पहले स्कूल में पेंट करने के बाद ही स्कूल में बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई और पास के गांवों के बच्चों ने भी स्कूल में दाखिला कराना शुरू कर दिया।
विनोद बताते हैं, 'हमने स्कूल की इमारत के गुंबदों को किताब का आकार दे दिया और उसे ऐसे बना दिया जैसे वर्णमाला की बारिश हो रही हो और बच्चे उसमें नहा रहे हों।' विजय कहते हैं कि हम हमेशा अपनी डिजाइन और पेंटिंग को बिल्डिंग के मुताबिक प्लान करते हैं। ये काम ज्यादातर गर्मी की छुट्टियों में होता है जिससे स्कूल खुलते समय बच्चों का एडमिशन ज्यादा से ज्यादा हो सके। स्वाति बताती हैं, 'हमारा तीसरा प्रॉजेक्ट गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल खम्मम का है जहां 40,000 रुपये लगे। इस स्कूल में 6-7 कमरे और एक बड़ा खेल का मैदान भी था। हमने दीवारों पर सूत्र और कविताएं लिखीं। वॉशरूम की दीवारों पर एक बच्चे का चित्र बना दिया जो कि हाथ धुल रहा था। हम ऐसे चित्र बनाते हैं जो देखने में सुंदर होने के साथ ही साथ कोई मैसेज भी दे रहे हों।
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