कबाड़ से बने ये गुलदस्ते ग्वालियर शहर को बना रहे हैं साफ और सुंदर

घर के कबाड़ को अक्सर हम खराब समझकर फेंक देते हैं लेकिन इसी का इस्तेमाल करके मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर को खूबसूरत बनाया जा रहा है।
सुनने में भले अजीब लगे लेकिन ये बात सच है, ग्वालियर नगर निगम की पहल से कबाड़ में फूल खिलाए जा रहे हैं। यहां के लोग फटे टायर और प्लास्टिक की बोतलों में फूल खिला रहे हैं। कबाड़ से शहर में फूल उगाने की इस मुहिम में शहर के अलावा बाहरी कलाकार भी शामिल हैं। नगर निगम का मानना है कि इससे शहर में हरियाली बढ़ रही है और साथ ही लोग जागरूक हो रहे हैं जिसके चलते शहर में आधा कचरा अपने आप ही कम हो रहा है। शहर के गांधी प्राणी उद्यान, बाल भवन जैसे पार्कों में पेड़ों के तनों में एंटिक लुक वाले टेबल तैयार किए जा रहे हैं। नगर निगम के कचरे में सबसे ज्यादा प्लास्टिक की बोतलें होती हैं, इन बोतलों में फूल-पौधे रोपकर इन्हें खूबसूरत बनाया जा रहा है।
इसी साल जनवरी में स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान नगर निगम ने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में आर्ट कैंप लगाए थे, जिनमें उन लोगों को शामिल किया गया जो इस पहल में अच्छा काम कर रहे थे। इससे दो चीजों में फायदा होगा एक तो शहर सुंदर दिखेगा, दूसरा कबाड़ के सही इस्तेमाल होने से चीजें, पॉलीथीन इकट्ठा नहीं होगी।
महिलाओं को मिला उनका खुद का रोजगार
मध्य प्रदेश में ही दूसरी एक और पहल नीमच की महिलाएं कर रही हैं। आमतौर पर जहां लोग घरों में पॉलीथिन को इस्तेमाल करने के बाद उसे कचरे में डाल देते हैं। वहां से जमा पॉलीथीन बीनने वाले इसे आकाश स्व-सहायता समूह की महिलाओं को बेच देते हैं। समूह की ये महिलाएं इन बेकार पॉलीथिन से रंग बिरंगे फूलों के गुलदस्ते बनाती हैं और इन्हें 30 से 40 रुपए में बेंचती हैं। नीमच की ये महिलाएं कुछ महीने पहले काम की तलाश में भटक रही थीं, कोई रोजगार न मिलने पर इन महिलाओं ने खुद मिलकर एक समूह बनाया। समूह में 12 महिलाएं हैं, जो बेकार सामान से खूबसूरत चीजें बनाती हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिकने वाला आइटम उनका गुलदस्ता है।
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दूसरे शहरों से भी लेती हैं ऑर्डर
एक गुलदस्ता बीस मिनट में तैयार हो जाता है। दस महिलाएं मिलकर दिनभर में करीब सौ से ज्यादा गुलदस्ते बना लेती हैं। उनको नगर पालिका से एक गुलदस्ते के पचास रुपए मिल जाते हैं। इन महिलाओं ने सैंपल के तौर पर करीब सौ गुलदस्ते दिल्ली की और पचास इंदौर की संस्थाओं को भेजे हैं। उन्हे और भी शहरों से ऐसे गुलदस्ते भेजने के ऑर्डर मिल रहे हैं। इससे महिलाओं की महीने के अच्छी कमाई तो हो ही रही है, वेस्ट पॉलीथिन का भी सही उपयोग हो रहा है।
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