इस जेल में चलता है रेडियो स्टेशन और कैदी बन रहे हैं रेडियो जॉकी
जेल में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार तरह के ट्रेनिंग उनको समय-समय पर देती है। यही कारण है कि कई ऐसे जेल जहां के कैदी सिलाई या क्रॉफ्ट से सामान बनाते हैं और बेचते हैं।
इसी कड़ी में तेलंगाना कारागार विभाग ने एक पहल की है। कैदियों को उनकी रचनात्मकता का पता लगाने में सक्षम बनाने और उन्हें मनोरंजन देने के लिए तेलंगाना कारागार विभाग ने राज्य भर की जेलों में एफएम रेडियो सुविधा शुरू की है, जहां कैदी रेडियो जॉकी बन रहे हैं। कैदियों के सुधार और पुनर्वास के लिए जेल विभाग ने यह कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें चुनिंदा कैदियों को एफएम रेडियो स्टेशन 'अंतर्वाणी' चलाने के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
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यहां के कैदी कार्यक्रमों में भी भाग ले सकते हैं, ये उनके मनोरंजन में मदद करता है और तनाव भी कम करता है। यहां कैदी ही एफएम रेडियो स्टेशनों का संचालन करते हैं, जेल के टाइम टेबल की घोषणाएं करते हैं, साथी कैदियों के लिए देशभक्ति, भक्ति और लोक गीत और संगीत बजाते हैं। महानिदेशक (जेल एवं सुधार सेवाएं) वी के सिंह ने पीटीआई को बताया, 'हमारा मुख्य उद्देश्य उनका सुधार और पुनर्वास है। जब वे मुख्यधारा में वापस जाएं, तो वे सज्जन बन कर जाएं, ये पहल हम उनके सुधार के लिए कर रहे हैं, जेलों में रेडियो स्टेशन इसके लिए अच्छा प्रयास साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा, ' कैद तो कैद ही होती है इसलिए कैदियों के मनोरंजन इस पहल का एक हिस्सा है ताकि वे उदास न हों और आत्महत्या करने के बारे में न सोचें। हम उन्हें अच्छे हंसमुख माहौल में रखना चाहते हैं।' यह पहल पहली बार मार्च में हैदराबाद के केंद्रीय कारागर और बाद में वारंगल केंद्रीय कारागार में शुरू हुई थी। जेल अधिकारियों ने बताया कि संगारेड्डी जिला कारागार राज्य की पहली जिला जेल बन गई जहां सोमवार को एफएम सेवा शुरू की गई।
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