प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला के लिए फरिश्ते बने सेना के ये जवान

श्री नगर के ललदेद अस्पताल में गुलशना बेगम ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया है, वो बार-बार भारतीय फौज का शुक्रिया अदा कर रही हैं क्योंकि आज वो और उनकी बच्चियां सेना के जवानों की वजह से ही सही सलामत हैं।
गुलशना ने बताया कि अगर फौजी नहीं आते तो न मैं जिंदा होती और न मेरी ये लाडलियां। श्री नगर के बांडीपोर के एक गांव की गुलशना की प्रसव पीड़ा जब बढ़ी तो आस-पास के इलाकों में तीन से चार फुट बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई थी। आस-पास न कोई अस्पताल था और न डॉक्टर। पति के भी समझ में नहीं आ रहा था कि किससे मदद मांगें, कहां जाएं। फिर उन्हें याद आया अपने गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सैन्य शिविर का नंबर। उन्होंने वहां फोन किया और कंपनी कंमाडर ने फोन उठाया। गुलशना के पति ने भर्राये गले से बोला कि अगर मेरी पत्नी यूं ही घर में तड़पती रही तो सिर्फ वही नहीं उसके पेट में पल रहा बच्चा भी मर जाएगा। फोन सुनने वाले अधिकारी ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि बस कुछ और देर इंतजार करो, तुम्हारे पास पहुंच रहे हैं।
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एक सैन्य डॉक्टर और जवानों का दल तुरंत मदद के लिए शिविर से निकल पड़ा। तीन से चार फीट बर्फ के बीच करीब सवा दो किलोमीटर पैदल चलते हुए जवान गुलशना के घर पहुंचे। सैन्य डॉक्टर ने उसका मुआयना किया और अपने साथ आए सैन्यकर्मियों को कहा कि वह उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाए। जवानों ने स्ट्रेचर में गुलशना को लिटाया और दोबारा ढाई किलोमीटर पैदल सफर किया। उसके बाद उन्होंने अपनी एंबुलेंस में गुलशन को बांडिपोर जिला अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने कहा कि दोनों की जान बचाने के लिए उसकी शल्य चिकित्सा जरूरी है। इसलिए उसे श्रीनगर पहुंचाया जाना चाहिए। उसके बाद गुलशन को डॉक्टरों की निगरानी में उसे श्रीनगर पहुंचाया, जहां उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।

सेना के जवानों ने एक साथ तीन जिंदगियां बचाईं। इससे पहले सात जनवरी को जिला कुपवाड़ा में भी सेना के जवानों ने जाहिद बेगम नामक गर्भवती महिला को समय रहते अस्पताल पहुंचाकर उसकी और उसके बच्चे की जान बचाई थी।
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