आईआईटी खड़गपुर के छात्रों ने धान की भूसी से बनाया फर्नीचर, जीता ये ईनाम

कभी आपने सोचा है कि धान की भूसी से क्या-क्या सामान बनाया जा सकता है। पहले तो ये जान लीजिए कि धान की भूसी होती क्या है? धान से चावल निकालने की प्रक्रिया में जो छिलका अलग होता है, उसे धान की भूसी कहते हैं। अब आप खुद सोच लीजिए कि इसका क्या-क्या इस्तेमाल हो सकता है।
वैसे तो ज्यादातर किसान इसे पशुओं के चारे में मिलाकर उन्हें खिला देते हैं, लेकिन आईआईटी खड़गपुर के छात्रों ने इससे कुछ अलग ही कमाल कर दिखाया है। दरअसल, हाल ही में 'हल्ट पुरस्कार 2018' की घोषणा हुई, जिसमें आईआईटी खड़गपुर की टीम ने 'मेटल' ने 50 टीमों को हराकर बाजी मार ली।
यह भी पढ़ें : प्लास्टिक के कचरे से टाइल्स बना रहा है एनजीओ, हैं कई खासियत
द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, हल्ट पुरस्कार का आयोजन ऐसे स्टूडेंट्स के लिए किया जाता है जो अपने आइडियाज से खाद्य सुरक्षा, पानी तक लोगों की पहुंच, ऊर्जा, पर्यावरण और शिक्षा जैसे सोशल इश्यूज के क्षेत्र में कुछ बेहतर कर सकें। हर साल इस प्रतियोगिता के लिए टॉपिक, पुरस्कार और विजेता की घोषणा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन करते हैं। स्टूडेंट्स के आइडियाज को इंडस्ट्री के छह एक्सपर्ट्स जज करते हैं। हल्ट पुरस्कार जीतने वाले छात्रों की टीम को उनका सोशल एंटरप्राइज शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये का इनाम दिया जाता है।

इस बार इस पुरस्कार को आईआईटी खड़गपुर के चार छात्रों की टीम ने जीता है। इस टीम का नाम था ‘टीम मेटल’ और इन्होंने अपने मॉडल में बताया कि कैसे हम फर्नीचर और पेन आदि बनाने के लिए प्लास्टिक की जगह चावल की भूसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। टीम मेटल के अलावा संस्थान से लगभग 50 टीमों ने अपना मॉडल पैनल के सामने प्रस्तुत किया था। इस पैनल ने भी टीम मेटल को विजेता घोषित करने से पहले लगभग 6-7 मॉडल्स को स्कैन किया था।
टीम मेटल के सदस्य छात्र हर्षित गर्ग द टेलीग्राफ से बात करते हुए कहा - भारत में धान का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है। अगर पेन, फर्नीचर, पिन बोर्ड और बरतन जैसे सामान धान की भूसी से बनाए जाएं तो यहां रोजगार तो बढ़ेगा ही, प्लास्टिक का इस्तेमाल भी कुछ कम होगा। वह कहते हैं कि हम इस भूसी में चिपकने वाला एक केमिकल डालकर इससे रोल शीट बना सकते हैं। टीम ने इसका एक प्रोटोटाइप विकसित किया है और केमिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं। चावल की भूसी का प्रयोग चीन में टिफिन बॉक्स बनाने के लिए होता है। भारत में भी इसके प्रयोग से एक बदलाव लाया जा सकता है।
टीम मेटल मार्च 2019 के रीजनल राउंड में विश्व स्तर पर आईआईटी खड़गपुर का प्रतिनिधित्व करेगी। हल्ट पुरस्कार के रीजनल राउंड लंदन और बोस्टन में होंगे। जो भी टीम सितम्बर 2019 के वर्ल्ड फाइनल में जीतेगी उसे 10 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
