73 साल के इस शख्स ने अपने बाग में लगाए 210 तरह के कटहल

देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए कटहल सिर्फ एक सब्ज़ी है जिसे कई तरह से खाने में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन मलयाली लोगों के लिए ये सिर्फ एक सब्ज़ी नहीं, ये इमोशन है। कच्चे कटहल की सब्ज़ी बनती है और पका हुआ कटहल फल की तरह खाया जाता है।
केरल के लोगों में कटहल को लेकर इतना प्यार है कि राज्य प्रशासन ने इसे स्टेट फ्रूट डिक्लेयर कर दिया है। हालांकि यहां के लोगों को भी नहीं पता कि कटहल की 200 से ज़्यादा प्रजातियां होती हैं और पाला के छक्कमपुझा कट्टाक्कयम गांव का एक शख्स इन प्रजातियों को सजो रहा है और इनका पोषण कर रहा है। इस शख्स ने अपने बगीचे में कटहल की 210 प्रजातियां लगा रखी हैं।
थॉमस इस बात से बहुत परेशान रहते हैं कि खेत में यहां तक कि अपने घरों में उगाए जाने वलो फलों और सब्ज़ियों पर भी लोग रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। जब उन्हें पता चला कि कटहल एक अकेला ऐसा फल है जिसमें किसी भी तरह के उर्वरक या कीटनाशक की ज़रूरत नहीं पड़ती तो उन्होंने इसे संरक्षित करना शुरू कर दिया। यहां तक कि कटहल का पेड़ कई बार खुद ही उग आता है और इसे सिर्फ थोड़ी सी केयर व पोषण की ज़रूरत होती है। इसके बाद उन्होंने कटहल के छोटे पौधों को हर जगह से इकट्ठा करना शुरू कर दिया और नई तकनीकों के सहारे उन्हें अपने डेढ़ एकड़ के बगीचे में लगाना शुरू किया। इससे पहले इस बाग में रबड़ के पेड़ लगे थे।

केरल की लोकल वेबसाइट मातृभूमि के मुताबिक, थॉमस ने रबड़ के पेड़ लगाना बंद कर दिया और कटहल पर पूरा ध्यान केंद्रित किया। पौधे लगाने के बाद उन्होंने उनके अंकुर को छोटे कंटेनर्स में भी संरक्षित कर लिया। दुर्भाग्य से थॉमस के पूरी केयर करने के बाद भी कई प्रजातियां पूरी तरह से नहीं बढ़ पाईं और कुछ समय में ही समाप्त हो गईं लेकिन इससे हताश होने के बाद थॉमस ने और मेहनत करना शुरू किया।
उन्होंने जितना संभव हो सकता था कटहल की उतनी प्रजातियों को इकट्ठा करना शुरू किया और फिर कंटनेर्स में उनका अंकुरण करवाया। इन पौधों के लिए उन्होंने सिर्फ जैविक खाद का इस्तेमाल किया। आज उनके बाग में कटहल की लगभग 210 प्रजातियां पाई जाती हैं।
उनके पास कई ऐसी प्रजातियां भी हैं जो केरल से बाहर की हैं। इनमें से एक न एक प्रजाति में हर महीने फल लगते हैं और कुछ ऐसी भी हैं जो पूरे साल फल देती हैं। अभी भी थॉमस जहां कहीं जाते हैं वहां से कटहल की एक अलग और नई प्रजाति लाने की कोशिश ज़ारी रखते हैं।
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