70 की उम्र , 18 महीने... और सूखी जमीन में निकाला पानी
मध्य प्रदेश के एक सूखाग्रस्त इलाके में 33 फीट गहरे कुएं को खोदने में क्या लगेगा? 18 महीने, एक फावड़ा और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ 70 साल का एक बूढ़ा शख्स। छतरपुर की प्रतापुरा ग्राम पंचायत के गांव हदुआ के रहने वाले सीताराम लोधी ने गया के माउंटेन मैन दशरथ मांझी के नक्शे कदमों पर चलते हुए वो कर दिखाया जिसके बारे में शायद किसी ने सोचा भी न हो।
मध्य प्रदेश का ये इलाका काफी समय से सूखाग्रस्त था। पूरा इलाका पानी की कमी से जूझ रहा था लेकिन उनमें से सिर्फ सीमाराम ही थे जिन्होंने इस समस्या को खत्म करने के बारे में सोचा। सीताराम ने परिवार के विरोध के बावजूद ठान लिया कि उन्होंने ये लगभग नामुमकिन सा लगने वाला काम हर हाल में कर के दिखाना है।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए सीताराम ने बताया कि गर्मी का मौसम था और पीने के लिए तक पानी नहीं था। हमारे पास पैसे भी नहीं थे। इसलिए मैंने अपने खेत में एक कुआं खोदने का फैसला किया। उस समय मेरे परिवार वालों ने कहा कि जब तक मुझे इस बात पर भरोसा न हो जाए कि कुआं खोदने से पानी निकल ही आएगा, तबतक इस काम को शुरू करना चाहिए लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं ये करके ही मानूंगा।
उन्होंने 2015 में कुआं खोदना शुरू किया। सुबह से लेकर दोपहर तक और शाम से लेकर रात तक हर दिन सीताराम एक फावड़े के साथ अपना काम शुरू करते और मिट्टी खोदकर बाहर डालते जाते। 18 महीने तक उन्होंने हर दिन यही काम किया और 2017 में कुआं पूरा खुद गया। सीताराम बताते हैं कि 33 फीट तक खुदाई करने के बाद कुएं में पानी आ गया था। हर कोई बहुत खुश था लेकिन जैसे - जैसे कुएं में पानी का स्तर बढ़ा, मुश्किल एक बार फिर हमारे सामने आ गई। सरकारी मदद के बिना उनकी सारी मेहनत बेकार हो गई जब बिना प्लास्टर कुआं बरसात के पानी में ढह गया।
लेकिन अगर आपको ऐसा लगता है कि सीताराम की सारी मेहनत बेकार हो गई और उन्होंने हार मान ली तो आप गलत हैं। वह एक बार फिर तैयार हैं कुएं को नए सिरे से खोदने के लिए। अविवाहित सीताराम अपने भाई के साथ रहते हैं जिनके पास 20 एकड़ जमीन है। उनके पास पानी का इंतजाम करने के लिए पैसे नहीं थे। यह देख सीताराम ने कुआं खोदने का फैसला किया। सीताराम के भाई हाल्के ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हमें कुआं खोदने से दिक्कत नहीं थी लेकिन वह हमारे खेत में कुआं खोदना चाहते थे और हमें यह भी नहीं पता था कि जहां पर वह कुआं खोद रहे हैं वहां कितनी गहराई में पानी निकलेगा, या फिर निकलेगा भी या नहीं। आखिरकार उन्होंने कुआं खोदकर पानी निकाला लेकिन बरसात के साथ ही कुआं ढह गया।
सीताराम का कहना है कि वह दोबारा कुआं खोद सकते हैं अगर सरकार से उसे प्लास्टर कराने के लिए मदद मिल जाए। मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसे किसानों के लिए जो कुआं खोदकर खेत में सिंचाई करना चाहते हैं, कपिल धारा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत एक कुएं के लिए सरकार की तरफ से 1.8 लाख रुपये की मदद मिलती है। इस बारे में लवकुश नगर के जनपद पंचायत सीईओ आरके शर्मा ने बताया कि उन्हें नहीं पता सीताराम ने कपिल धारा योजना के तहत कुएं के लिए आवेदन दिया था या नहीं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत कुआं खोदने के लिए 1.8 लाख रुपये सरकार की ओर से खर्च किए जाएंगे। हालांकि, ऐसी कोई स्कीम नहीं है जिसके तहत खुद का कुआं खोदने वाले व्यक्ति को मदद दी जाए।
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