गरीब बच्चों के लिए 24 हजार KM पैदल चलेगा 'प्रिंस', मकसद जानेंगे तो कहेंगे वाह...

अगर आपको हम बताएं कि एक आदमी 120 दिनों में 24,000 किलोमीटर की यात्रा पैदल करने वाला है तो आप शायद यही कहेंगे वो कोई रिकॉर्ड बनाना चाहता है या किसी रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए ऐसा कर रहा है। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप पूरी तरह गलत हैं! हो सकता है उसके इस प्रयास से कोई रिकॉर्ड बन जाए पर अगर आप उस इंसान का मकसद जान जाएंगे तो उसके सामने ऐसे कई रिकॉर्ड बौने पड़ जाएंगे।
हम बात कर रहे हैं मुंबई के प्रिंस तिवारी की, यह एक ऐसे शख्सियत का नाम है जो आगामी 14 नवंबर (बाल दिवस) से पूरे भारत में 24,000 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकलने वाले हैं। उनकी उम्र अभी महज 23 साल के हैं और 120 दिन की इस पदयात्रा में स्कूलों के लिए फंड जुटाएंगे।
क्या करते है प्रिंस तिवारी
2014 में प्रिंस ग्रेजुएट हुए, और 23 साल की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी भी छोड़ चुके हैं। अभर वो वे एक गैर सरकारी संगठन (NGO) भी चला रहे हैं। वे मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 24 बच्चों को कांदिवली के सेमी अंग्रेजी मीडियम में पढ़ा रहे हैं। 2015 में उन्होंने 49 और बच्चों को स्कूल में दाखिल करवाया। आज की तारीचा में वे और 86 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे उनकी स्कूल फीस, स्टेशनरी, किताबें और यूनिफॉर्म समेत एक समय के भोजन का भी खर्चा उठाते हैं।
समस्या क्या है?
बीते सालों में जहां एक तरफ स्कूल की फीस बढ़ी है वहीं बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। बच्चे जहां अब इंग्लिश मीडियम की ओर आगे बढ़ रहे हैं वहीं उनकी सालाना फीस भी 15,000 रुपये से बढ़कर 30,000 रुपये तक पहुंच रही है।
प्रिंस बताते हैं कि स्टूडेंट्स जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं फंड नहीं आ रहा। कांदिवली पुल के नीचे रहने वाले स्टूडेंट्स हमेशा ही डर में रहते हैं। ऐसे कई संगठन हैं जो स्वच्छ भारत अभियान की आड़ में इस पूरे इलाके को साफ करना चाहते हैं। ऐसे में सारी झुग्गियां खत्म हो सकती हैं, उनके स्टूडेंट्स हमेशा किन्हीं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में फंसे रहते हैं।
प्रिंस बताते हैं कि स्टूडेंट्स जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं फंड नहीं आ रहा। कांदिवली पुल के नीचे रहने वाले स्टूडेंट्स हमेशा ही डर में रहते हैं। ऐसे कई संगठन हैं जो स्वच्छ भारत अभियान की आड़ में इस पूरे इलाके को साफ करना चाहते हैं। ऐसे में सारी झुग्गियां खत्म हो सकती हैं, उनके स्टूडेंट्स हमेशा किन्हीं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में फंसे रहते हैं।
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