देश के साढ़े 17 लाख बुजुर्ग यात्रियों ने पेश की नजीर
देशभर के साढ़े सत्रह लाख से ज्यादा बुजुर्ग यात्रियों ने रियायती किराये पर रेल यात्रा की सुविधा का त्याग कर दिया है। बुजुर्गों के इस त्याग से रेलवे को लगभग 29 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस तरीके से सरकार एलपीजी सब्सिडी के बाद सक्षम लोगों से सब्सिडी छुड़वाने में यह दूसरी सबसे बड़ी कामयाबी मिली है।
रेलवे के आधुनिकीकरण में मदद के लिए एक बुजुर्ग द्वारा दिया गया यह सुझाव रेलवे के लिए लाभ का सौदा साबित हुआ। रेलवे ने पिछले वर्ष 22 जुलाई को वरिष्ठ नागरिकों (58 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं और 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष) को पूरी अथवा आधी रियायत छोड़ने का विकल्प दिया था। इसी के साथ अनेक सक्षम बुजुर्गों ने सब्सिडी छोड़ना शुरू कर दिया था। इस क्रम में 22 फरवरी, 2018 तक 9.08 लाख वरिष्ठ नागरिक शत-प्रतिशत तथा 8.55 लाख वरिष्ठ नागरिक 50 फीसद रियायत छोड़ चुके थे। इस तरह कुल 17.63 लाख बुजुर्गो ने किसी न किसी रूप में सब्सिडी छोड़ी थी।
बुजुर्गों के इस त्याग की वजह से चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान रेलवे को कुल 28.98 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई है। बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों को रियायत के तहत रेलवे 58 वर्ष या अधिक उम्र की महिलाओं तथा 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को कुल किराये में 50 फीसद छूट देती है। रेलवे सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों को ही नहीं बल्कि जैसे कि खिलाड़ियों, विकलांगों, छात्रों, शौर्य पदक विजेताओं आदि को भी रियायत का प्रावधान है। परंतु इनमें सबसे ज्यादा संख्या वरिष्ठ नागरिकों की है। इस तरीके से रेलवे को बुजुर्गों से अधिक लाभ हुआ है।
गाजियाबाद के एक बुजुर्ग यात्री ने दिया था सुझाव
केंद्र सरकार ने सक्षम लोगों से गैस सब्सिड़ी छोड़ने के लिए जब लोगों से कहा था उसी दौरान गाजियाबाद के एक वरिष्ठ नागरिक को भी यही आइडिया आया था। क्यों न रेलवे किराया की सब्सिडी छोड़कर सरकार को लाभ पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से सक्षम लोगों द्वारा रियायत छोड़ने की अपील करने के लिए कहा था। उस बुजुर्ग यात्री ने इसके लिए रेल मंत्रालय को पत्र भी लिखा था। तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु को पत्र के साथ 900 रुपये का एक चेक भेजते हुए कहा था कि रेलवे को आधुनिकीकरण की सख्त जरूरत है। लेकिन यात्री किरायों में सब्सिडी के कारण माली हालत ठीक न होने से वह चाहकर भी इस ओर समुचित ध्यान नहीं दे पा रही है। चूंकि मैं पूरा किराया अदा करने में सक्षम हूं, लिहाजा जम्मू-दिल्ली राजधानी के सेकंड एसी के टिकट का बाकी आधा किराया रेलवे को वापस कर रहा हूं। उस बुजुर्ग यात्री ने अन्य सक्षम बुजुर्गों से भी उनका अनुसरण करने और रेलवे की सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी। आखिर उन बुजुर्ग का ये आइडिया रेलवे के काम आया और वर्तमान समय में 29 करोड़ से अधिक का लाभ हुआ।
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