16 साल की है ये पैड गर्ल, अनाथालय की लड़कियों को सिखा रही माहवारी के दौरान स्वच्छता का महत्व

कई लड़कियां आज भी माहवारी के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, इनमें से कुछ तो ऐसी हैं जिन्हें साफ कपड़ा भी नसीब नहीं होता। कुछ ऐसी ही जिंदगी बेंगलुरु की लक्ष्मी की भी थी। 23 साल की लक्ष्मी पीरियड्स में कपड़ा ही इस्तेमाल करती थीं। वे उसी कपड़े को हर बार धोकर ऐसी जगह सुखाती थीं जहां किसी की नजर न पड़े।
बाद में उन्हें पता चला कि कपड़ा इस्तेमाल करने का क्या नुकसान होता है और वह भी छांव में सुखाया गया कपड़ा तो ज्यादा नुकसान देता है। लेकिन अब लक्ष्मी ने सैनिटरी पैड का इस्तेमाल शुरू कर दिया है और इस बारे में उन्हें जागरूक किया है 16 साल की संजना दीक्षित ने।
बेंगलुरु में पीरियड्स में साफ-सफाई और पैड्स के प्रयोग पर जागरुकता फैलाने वाली संजना दसवीं क्लास की छात्रा हैं। पीरियड्स के मुद्दे पर जागरुकता फैलाने की उनकी पहल में अनाथालय में रहने वाली ने वे लड़कियां शामिल हैं, जिनसे इस मुद्दे पर सामान्य रूप से ज्यादा बात नहीं की जाती। संजना ने जनवरी में एक वर्कशॉप आयोजित की थी, जिसमें लक्ष्मी और उनके जैसी कई अन्य महिलाओं ने हिस्सा लिया था।
कैसे हुई शुरुआत
वेबसाइट बेंगलुरु मिरर के मुताबिक, संजना बताती हैं कि वह अपना 16वां जन्मदिन थायी माने के एक अनाथालय में मना रही थीं। संजना वहां टॉइलट गईं तो गंदगी को देखकर उनके मन में सवाल आया कि यहां लड़कियां पीरियड्स के दिन में साफ-सफाई का ध्यान कैसे रखती होंगी? यही वह सवाल था जिससे उनके मन में माहवारी के दौरान स्वच्छता की जरूरत के बारे में जागरूकता फैलाने का ख्याल आया।
डॉक्टर्स ने की मदद
संजना ने जब तय कर लिया कि उन्हें ये काम करना है उसके बाद उनके सामने इसके लिए फंड इकट्ठा करने की समस्या आई। इसके लिए वे अपने स्कूल के हर क्लास में गईं और बच्चों से मदद करने के लिए कहा। उन्होंने कुछ डॉक्टर्स से भी संपर्क किया और दो महीने के अंदर उनकी मददसे कई वर्कशॉप कीं। इस दौरान उन्होंने देखा कि अनाथालय में रहने वाली ज्यादातर लड़कियों को इस बारे में जानकारी नहीं है कि पीरियड्स के दौरान सफाई क्यों जरूरी है। संजना कहती हैं कि मैंने जो पैसे इकट्ठा किए हैं उनसे मैं ऐसी लड़कियों को सैनिटरी पैड भी बांट रही हूं। वह कहती हैं, 'यह चौंकाने वाला था जब क्लासेज में जाकर मैंने अपना मकसद बताया और फंड के लिए मदद मांगी तो आगे आने वालों में लड़के ज्यादा थे। मुझे अच्छा लगा कि मैं किसी भी तरह इन लोगों की मदद कर पाई।'
माहवारी से जुड़े तथ्यों के बारे में संजना लड़कों को भी जागरूक करना चाहती हैं। आगे उनका प्लान स्लम से लेकर अनाथालयों तक वर्कशॉप्स का आयोजन करना और जरूरतमंद लड़कियों तक आसानी से पैड्स पहुंचाना है। वह चाहती हैं कि झिझक और जागरूकता की कमी जैसी दिक्कतों को दूर कर एक स्वस्थ और बेहतर कल बनाया जाए।
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